पटना: बिहार विधान मंडल का बजट सत्र जारी है. बजट सत्र की कार्यवाही के दौरान विधानसभा में विपक्ष ने बड़े जोरदार तरीके से आईपीएस-आईएएस के दुर्व्यवहार का मुद्दा उठाया था. इस मुद्दे पर सदन में खूब हंगामा हुआ था. ऐसे में विपक्ष की शिकायत के बाद बिहार सरकार ने अधिकारियों पर नकेल कसने के लिए बड़ा एक्शन लिया है. बिहार सरकार के संसदीय कार्य विभाग ने एक अधिसूचना जारी की है, जिसमें साफ तौर पर ये कहा गया है कि अधिकारी जनप्रतिनिधियों के साथ इज्जत से पेश आएं और उनके साथ उचित व्यवहार करें. इस बाबत उन्हें प्रोटोकॉल की पूरी लिस्ट सौंपी गई है.


विभाग द्वारा जारी अधिसूचना में अधिकारियों को कहा गया है कि बार-बार निर्देश देने के बावजूद शिकायत मिल रही है कि आपके द्वारा उचित व्यवहार नहीं किया जा रहा है. इससे ऐसा प्रतीत होता है कि निर्देशों को गंभीरता से नहीं लिया गया है. सांसद, विधायक, विधान पार्षद समेत अन्य जनप्रतिनिधि लोकतंत्र के स्तंभ हैं और इनकी भूमिका बहुत ही महत्त्वपूर्ण है. ऐसे में सरकारी सेवकों को संसद और राज्य विधान मण्डल के सदस्यों के प्रति शिष्टता और सम्मान दर्शाना चाहिए.


विभाग द्वारा अधिकारियों को व्यवहार संबंधी जो निर्देश जारी किए गये हैं उनमें ये मुख्य हैं-


1.अधिकारी जनप्रतिनिधियों से सामान्य रूप से या फोन पर भी तमीज से बात करेंगे. उनकी बात ध्यान और धैर्यपूर्वक सुनेंगें और समझेंगे. तब ही कोई प्रतिक्रिया देंगे.


2. अधिकारी अगर मुलाकात के लिए तय किए गए समय में कुछ परिवर्तन करेंगे तो इसकी त्वरित सूचना जनप्रतिनिधि को देंगे ताकि किसी भी असुविधा से बचा जा सके. वहीं, उनके आने और जाने के समय उनके सम्मान में कुर्सी से खड़े होंगे.


3. सरकारी कार्यालय द्वारा आयोजित सार्वजनिक समारोह में उस क्षेत्र के सांसद सदस्य को निश्चित रूप से आमंत्रित करेंगे. वहीं, समारोह में उनके लिए समुचित व्यवस्था करेंगे.


4. अधिकारी ये सुनिश्चित करेंगे कि निर्वाचन क्षेत्र के समारोहों के लिए छपाए गए निमंत्रण पत्रों और अखबारों के विज्ञापनों में उस निर्वाचन क्षेत्र के उन सदस्यों का नाम शामिल होना चाहिए जिन्होंने समारोहों में भाग लेने की पुष्टि की हो.


5. अधिकारी बैठक या समारोह में शामिल होने वाले जनप्रतिनिधियों को सूचना देंगे ताकि वो समय से कार्यक्रम में पहुंच सकें.


6. सभी अधिकारी खासतौर पर ये सुनिश्चित करेंगे कि वो अपने किसी निजी काम को लेकर जनप्रतिनिधियों के पास नहीं जाएंगे. ये विभाग के प्रोटोकॉल के विरुद्ध है.


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