पटना: बिहार में कोरोना से त्राहिमाम है. रोजाना सैकड़ों संक्रमित मरीजों के मिलने के साथ ही कई लोगों की जान जा रही है. सरकार लगातार कोरोना से निपटने के लिए स्वास्थय व्यवस्था में विस्तार के साथ लोगों को जागरूक करने में लगी हुई है. इधर, कोरोना का कहर तो जारी है ही, साथ ही वज्रपात की चपेट में आने से बीते दिनों राज्य में कई लोगों की जान चली गई है.


आंकड़ो की ओर अगर देखा जाए तो राज्य में अब तक कोरोना संक्रमण से मरने वालों की संख्या 217 है, जबकि वज्रपात की चपेट में आकर मरने वालों की संख्या 341 है. ऐसे में समझने की जरूरत है कि वज्रापात (आसमानी बिजली) क्यों होता है और इससे बचने के लिए क्या करना चाहिए. इस संबंध में राजधानी स्थित श्रीकृष्ण विज्ञान केंद्र के अमिताभ परियोजना समन्वय का कहना है कि ठनका (बिजली गिरना) को समझने से पहले हमें ये समझना होगा कि आसमान में बादल कैसे बनते हैं?


कैसे गिरती है आसमानी बिजली? क्या है वजह?


दरसअल, गर्मी के कारण पृथ्वी की सतह से जल वाष्पीकृत होकर वायुमंडल में जाता है, जहां तापमान कम होने के कारण ये वाष्प छोटे-छोटे बर्फ में बदल जाते हैं और जब ये बदल जाते हैं तो इनमें आपस में ही रगड़ होती है, जिससे इनके बीच एक इलेक्ट्रिकल चार्ज आती है, छोटे कण जो हवा की गति से ऊपर की ओर जाते हैं, वो पॉजिटिव चार्ज हो जाते हैं और जो बड़े कण हैं वो बादलों के बीच और निचले सतह पर रहते हैं, जो निगेटिव चार्ज हो जाते हैं और अब पॉजिटिव और निगेटिव चार्ज बादल अपनी जगह पर आते हैं.


चूंकि पृथ्वी के निचली सतह पर इतना बड़ा निगेटिव चार्ज है, तो वो पृथ्वी को प्रभावित करता है, हमारी धरती की सतह भी हल्की निगेटिव चार्ज होती तो एक तरफ ऊपर इतना बड़ा निगेटिव चार्ज और दूसरी तरफ पृथ्वी पर हल्की निगेटिव चार्ज. तो ये आपस में ही एक दूसरे को धक्का देते हैं, लेकिन पृथ्वी के गरुत्वाकर्षण अधिक होने के कारण ये एक दूसरे को विस्थापित नहीं कर पाते हैं, जिसके कारण पृथ्वी की सतह पर जो निगेटिव चार्ज होते हैं, वो पॉजिटिव में बदल जाते हैं और जैसे ही ये पॉजिटिव में बदलते हैं, दोनों एक दूसरे को आकर्षित करते हैं और विद्युत का प्रभाव होना शुरू हो जाता है. इसलिए बादलों से भी इसका प्रवाह होने लगता है, जिसे हम ठनका (बिजली गिरना) कहते हैं.


उन्होंने बताया कि इस साल वज्रपात ज्यादा हो रहा है, पिछले वर्ष की अपेक्षा, हालांकि इसका कोई सही कारण नहीं है. लेकिन हम यह मानकर चलें कि बादल चार्ज हो रहे थे, उस समय इनके कुछ स्पॉटिंग कंडीशन ज्यादा फेबर में रहे होंगे, जैसे कि दो बादल आपस में टकरा रहे हों. उस समय उनकी गति तीव्र थी, जिसके कारण उनमें ज्यादा घर्षण हुआ और तेजी से बिजली का प्रवाह हुआ. दूसरा यह हो सकता है कि बादल के अंदर बर्फ और पानी के जो कण मौजूद हैं, उनकी मात्रा इस साल अधिक होगी अब अगर आप पूछते हैं कि कैसे ज्यादा हो गई तो मैं कहूंगा कि ये रिसर्च का विषय है और मुझे लगता है कि इसपर अभी तक कोई गहन विश्लेषण नहीं हुआ है. बादल चार्ज होने के समय कुछ स्पॉटिंग कंडीशन जरूर ज्यादा एक्टिव रहे हैं, जिस कारण से ही ज्यादा ठनका इस साल देखने को मिल रहा है.


आसमानी बिजली से कैसे बचें
वहीं, ठनका गिरने को रोकने के संबंध में उन्होंने बताया कि हम ठनके को नहीं रोक सकते हैं, इससे हमें बचना ही होगा और इसका सबसे बेहतर उपाय है कि आप घर से बाहर न निकलें, जब भी इस तरह का मौसम हो तो आप अपने घरों से न निकले, लेकिन अगर आप निकल गए हैं और ऐसी खुली जगह पर हैं जहां कोई इमारत नहीं है, तो वहां आप खुद के बचाव के लिए एक आसान तरीका प्रयोग कर सकते हैं. आप अपने मोबाइल को सबसे पहले ऑफ कर लें, उसके बाद तुरंत जमीन पर बैठ जाएं और अपने कान को हाथों से बंद कर ले ऐसा करने से आप बच सकते हैं.


दरअसल, होता ये है कि जब पृथ्वी की सतह ज्यादा पॉजिटिव चार्ज हो जाती है तो आपका शरीर भी पॉजिटिव चार्ज हो जाता है, जिसके कारण आप खुद एक गुड इलेक्ट्रिक कंडक्टर हो जाते हैं और आप में सीधे विद्युत का प्रवाह आ जाता है. ऐसे में उस समय आपको खुद को कंडक्टर बनने से रोकना होगा. इसका उपाय यह है कि आप इससे बचने के लिए पक्के मकान की शरण लें, अगर कोई उपाय नहीं है तो आप जमीन पर बैठ जाएं, दोनों हाथों से कान को बंदकर और तबतक बैठे रहें, जब तक आपके ऊपर से बादल न चलें जाएं.


उन्होंने बताया कि मोबाइल फोन आपको गुड कंडक्टर बनाने में मदद करता है तो हो सकता है कि अगर आपने अपना मोबाइल फोन ऑन रखा है तो भी आप ठनके का शिकार हो सकते हैं. इसलिए वैसी स्थिति में आप अपने मोबाइल को तुरंत बंद कर लें और अगर आप किसी गाड़ी में सफर कर रहे हैं तो उसका रेडियो बंद कर लें, क्योंकि रेडियो का एंटीना भी आपके गाड़ी को एक गुड कंडक्टर में बदल देता है, जो विद्युत के प्रवाह को आकर्षित करेगा. इसलिए सलाह है कि उस समय सभी इलेक्ट्रिक और इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों को बंद कर दें.


सरकार ने बनाया मोबाइल एप
मालूम हो कि बीते दिनों आसमानी बिजली के गिरने से कई लोगों की मौत के बाद बिहार सरकार मौसम को लेकर लगातार लोगों को अलर्ट जारी कर रही है और इससे बचने के तरीके भी बता रही है. इसी क्रम में बिहार सरकार की आपदा प्रबंधन टीम ने इंद्रवज्र (Indravajra) नाम की एक मोबाइल एप को लॉन्च किया है.


इस एप की खासियत ये है कि यह बिजली गिरने से 40-45 मिनट पहले यह अलर्ट जारी कर देती है. इस दौरान आपके स्मार्टफोन पर एक रिंगटोन बजेगा. बिहार सरकार ने राज्य के लोगों को इस एप को अधिक-से-अधिक डाउनलोड करने की अपील की है.


कैसे काम करता है एप-


1. आप Indravajra एप को गूगल-प्ले-स्टोर से एंड्रॉयड स्मार्टफोन में डाउनलोड कर उपयोग कर सकेंगे.


2. गूगल प्ले-स्टोर पर जाकर आपको सर्च बार में Indravajra सर्च करना होगा.


3. एप के डाउनलोड होने के बाद आपको अपने मोबाइल नंबर के जरिए इस पर रजिस्ट्रेशन करनी होगी.


4. रजिस्ट्रेशन के बाद एप आपकी लोकेशन की परमिशन मांगेगी.


5. इसके बाद यह एप काम करना शुरू कर देगी और आपको लोकेशन के 20 किलोमीटर के दायरे में बिजली गिरने से 40-45 मिनट पहले अलर्ट मिल जाएगा.


इस साल वज्रपात आपदा पूर्व चेतावनी प्रणाली स्थापित किया गया
बता दें कि वज्रपात की पूर्व सूचना/चेतावनी प्राप्त कराने के लिए बिहार आपदा प्रबंधन विभाग की ओर से अर्थ नेटवर्क कम्पनी के सहयोग से राज्य में इस साल वज्रपात आपदा पूर्व चेतावनी प्रणाली स्थापित किया गया है. इस चेतावनी प्रणाली से किसी क्षेत्र में वज्रपात होने के संबंध में 30 से 40 मिनट पूर्व चेतावनी उपलब्ध कराई जाती है. बिहार के पहले आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, ओडिशा और पश्चिम बंगाल सरकार के की ओर से भी अर्थ नेटवर्क कम्पनी के सहयोग से इस वज्रपात आपदा चेतावनी प्रणाली की स्थापना की गई है.


राज्य में वज्रपात आपदा चेतावनी प्रणाली स्थापित होने के बाद किसी क्षेत्र विशेष में वज्रपात होने की स्थिति में लगभग 30 से 40 मिनट पूर्व चेतावनी प्राप्त होती है, लेकिन समयावधि काफी कम होने के कारण लोगों को वक्त रहते सूचना देना बहुत चुनौतीपूर्ण है.


मालूम हो कि 25 जून का दिन काफी दुर्भाग्यपूर्ण रहा जिस दिन वज्रपात/ठनका गिरने के कारण राज्य में 96 व्यक्तियों की जान चली गयी. ऐसे में विभाग की ओर चेतावनी प्रेषण की प्रक्रिया को और अधिक सुदृढ़ बनाने का प्रयास किया जा रहा है.


इसके साथ मुख्य रूप से निम्न कार्रवाई की गयी है:-


1. वज्रपात आपदा चेतावनी प्रणाली के द्वारा वज्रपात की चेतावनी से संबंधित जानकारी SMS के माध्यम से अब सीधे संबंधित जिला के जिला पदाधिकारी समेत अन्य संबंधित अधिकारियों को मिलेगी.


2. वज्रपात की चेतावनी मिलते ही जिला स्तर के पदाधिकारियों की ओर से व्हाट्सएप के माध्यम से संबंधित प्रखण्ड के प्रखण्ड स्तरीय पदाधिकारियों स्थानीय मीडिया कर्मियों और स्थानीय जनप्रतिनिधियों को दिया जाता है. इस कारण विभिन्न व्हाट्स एप ग्रुपों का उपयोग किया जाता है. इन्द्रवज्र मोबाईल ऐप की ओर से भी वज्रपात की चेतावनी से संबंधित जानकारी SMS के माध्यम से अब सीधे संबंधित प्रखण्ड के प्रखण्ड विकास पदाधिकारी/अंचल अधिकारी/थाना प्रभारी को प्राप्त कराया जाता है.


3. वज्रपात की चेतावनी प्राप्त होते ही प्रखण्ड स्तर के पदाधिकारियों की ओर से व्हाट्स एप के माध्यम से संबंधित प्रखण्ड के पंचायत स्तरीय कर्मियों तथा पंचायत सचिव, राजस्व कर्मचारी, पंचायत रोजगार सेवक, विकास मित्र, टोला सेवक, कृषि समन्वय आदि, स्थानीय मीडिया कर्मियों, स्थानीय जनप्रतिनिधियों और प्रमुख पंचायत समिति सदस्य, ग्राम पंचायतो के मुखिया, सरपंच, वार्ड सदस्य, पंच, आंगनबाड़ी सेविका, जीविका दीदी आदि को सूचित किया जाता है. इस वाजह से पहले से बनाए गए विभिन्न व्हाट्स एप ग्रुप का उपयोग किया जा रहा है.


4. वज्रपात की चेतावनी प्राप्त होते ही पंचायत स्तरीय कर्मी/स्थानीय जनप्रतिनिधि/आंगनबाड़ी सेविका/जीविका दीदी आदि की ओर से फोन कॉल/व्हाट्सएप और अन्य तरीके से आमजनों को तुरन्त सूचित किया जाएगा. यह प्रयास होना चाहिए कि कम से कम समय में अधिक से अधिक लोगों को वज्रपात की चेतावनी के संबंध में अवगत कराया जाए.


विभाग की ओर से भी वज्रपात चेतावनी से संबंधित सूचना संबंधित प्रखण्ड के प्रखण्ड विकास पदाधिकारी, अंचलाधिकारी, थाना प्रभारी, प्रखण्ड अन्तर्गत सभी मुखिया, सभी वार्ड मेम्बर, सभी पंचायत स्तरीय कृषि समन्वयक एवं सभी आंगनवाड़ी को SMS के माध्यम से भेजा जाता है. जल्द ही इन्द्रवज्र मोबाईल एप की ओर से सीधे प्रखण्ड अन्तर्गत सभी मुखिया, सभी वार्ड मेम्बर, सभी पंचायत स्तरीय कृषि समन्वयक और सभी आंगनवाड़ी को SMS के माध्यम से भेजा जाएगा.


राज्य में अधिक-से-अधिक लोग इस एप को डाउनलोड करें इसके लिए हिन्दी और अंग्रेजी के प्रमुख दैनिक समाचार पत्रों में लगातार विज्ञापन के माध्यम से सरकार कि ओर से से लोगों से अपील किया जा रहा है. इस एप को डाउनलोड करने के लिए विभाग के स्तर से लोगों को लिंक भी भेजा जा रहा है. जैसे राज्य के विद्युत उपभोक्ता, कृषि विभाग के पास उपलब्ध कृषकों का डाटाबेस, जीविका दीदी.


इन्द्रवज्र मोबाइल एप को डाउनलोड करने की प्रक्रिया को सरल एवं आसान बनाया गया है. साथ ही इस मोबाईल ऐप के फंक्शनलिटी में लगातार सुधार किया जा रहा है. विभाग के प्रयास से 25 जून 2020 के बाद लगभग 150000 लोगों की ओर से इस मोबाइल एप को डाउनलोड किया गया है.


वज्रपात आपदा पहले चेतावनी प्रणाली का लिंक प्रमुख मीडिया चैनलों को भी उपलब्ध कराया गया है और इस चेतावनी प्रणाली के तकनीक के संबंध में मीडिया चैनलों के आईटी प्रोफेशनल को जानकारी भी दी गई है, ताकि वज्रपात की चेतावनी के संबंध में वे स्वयं भी जान सकें.


व्हाट्सएप ग्रुप के माध्यम से प्रमुख इलेक्ट्रोनिक मीडिया/ प्रिंट मीडिया/ ऑल इंडिया रेडियो के अधिकारियों को भी राज्य के किसी क्षेत्र में वज्रपात होने की चेतावनी तुरन्त उपलब्ध कराई जाती है, ताकि टेलीविजन चैनलों, न्यूज पोर्टल और रेडियों के माध्यम से लोगों को वज्रपात/ठनका गिरने की सूचना समय रहते मिल सके.


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