पटना: बिहार में कोरोना संक्रमण की मौजूदा स्थिति को देखते हुए पंचायत चुनाव को टाल दिया गया है. नीतीश कैबिनेट की मंगलवार को हुई बैठक के बाद ये स्पष्ट हो गया है कि बिहार में फिलहाल पंचायत चुनाव नहीं होने वाला और ना ही पंचायत प्रतिनिधियों के कार्यकाल में विस्तार किया जाएगा. चुनाव कराने और मुखियाओं के कार्यालय बढ़ाने को लेकर चल रहे कशमकश कर बीच सरकार ने बीच का रास्ता निकालने का फैसला किया है. 


पंचायती राज अधिनियम 2006 में किया गया संशोधन


मालूम हो कि पंचायतों का कार्यकाल 15 जून को खत्म हो रहा है. ऐसे में बिहार कैबिनेट की बैठक के बाद पंचायती राज मंत्री सम्राट चौधरी ने बताया कि पंचायतों में परामर्शी समिति की नियुक्ति होगी. उन्होंने बताया कि नीतीश सरकार ने पंचायती राज अधिनियम 2006 में संशोधन किया है. अधिनियम की धारा 14, 39, 66 और 92 में संशोधन किया गया है.


ऐसे में नया अध्यादेश लाकर वर्तमान जनप्रतिनिधियों को शक्ति देने की योजना है. ऐसी चर्चा है कि परामर्श समिति में अफसर और वर्त्तमान पंचायत प्रतिनिधियों को शामिल किया जाएगा. पंचायती राज मंत्री ने कहा कि बिहार लोकतांत्रिक प्रदेश है और जो भी फैसला लिया जाएगा उसमें लोकतंत्र ही झगकेगा. इसमें कोई दो राय नहीं है.


 





मांझी ने कहा थैंक्यू


बिहार कैबिनेट के इस फैसले का बिहार के पूर्व सीएम जीतन राम मांझी ने स्वागत किया है. उन्होंने ट्वीट कर कहा, " समय पर पंचायत चुनाव नहीं होने के कारण पंचायतों में परामर्श समिति का गठन करने जैसे कैबिनेट फैसले लेने के लिए नीतीश कुमार को धन्यवाद. परामर्श समितियों में वर्तमान पंचायत सदस्यों के साथ-साथ विधायक प्रतिनिधि भी शामिल होंगें जिससे गांवों का विकास बाधित नहीं होगा. लोकतंत्र की जय "


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