पटना: मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की 17 साल की सरकार में शिक्षा के क्षेत्र में बड़े-बड़े दावे किए गए. कई तरह की योजनाएं भी निकाली गई जिससे शिक्षा व्यवस्था चुस्त दुरुस्त हो. सरकार की ओर से राज्य में प्राथमिक विद्यालय, मध्य विद्यालय और उच्च विद्यालय की संख्या बढ़ाने का भी दावा किया जाता है. चार साल पहले राज्य सरकार ने पंचायत स्तर पर एक उच्च विद्यालय खोलने का आदेश दिया था. आदेश पूरा भी किया गया. राज्य के हर पंचायत के एक मध्य विद्यालय को उच्च विद्यालय में तब्दील किया गया. शिक्षा विभाग ने आदेश दिया कि सभी उच्च विद्यालयों की कक्षाओं को स्मार्ट बनाया जाएगा, जिसके लिए कंप्यूटर, टीवी की व्यवस्था की गई, लेकिन कई ऐसे उच्च विद्यालय हैं, जो सिर्फ कागज पर चल रहे हैं. सरकार ने उच्च विद्यालय तो बना दिए, लेकिन उसके लिए कोई व्यवस्था नहीं की. कागज पर ही बच्चों का नामांकन हो जाता है और 10वीं का बोर्ड एग्जाम भी. लेकिन, इन स्कूलों में पढ़ाई क्या होती है, देखिए इस रिपोर्ट में-


राजधानी पटना से सटे फतुहा प्रखंड क्षेत्र के रसलपुर मध्य विद्यालय को साल 2019 में उच्च विद्यालय में तब्दील कर दिया गया. इस विद्यालय में कक्षा एक से आठ तक के बच्चों को पढ़ाने के लिए पहले 14 शिक्षक थे. इसके लिए स्कूल में पांच कमरे हैं. कमरे की कमी पहले से भी थी और अब भी है. जब स्कूल में हाईस्कूल की पढ़ाई का आदेश दिया गया, तब ना ही कमरे की संख्या बढ़ाई गई और ना ही हाई स्कूल के लिए अलग से शिक्षक बहाल किया गया. हालांकि, स्मार्ट क्लास के लिए दो टीवी और कंप्यूटर आ गया, लेकिन स्मार्ट क्लास की पढ़ाई कराने के लिए ना तो शिक्षक हैं और ना ही उस तरह के कमरे हैं. स्कूल में बिजली पानी की भी कोई व्यवस्था नहीं है. स्मार्ट क्लास के लिए दिए गए टीवी और कंप्यूटर भी प्रिंसिपल ऑफिस की शोभा बढ़ा रहे हैं.


ये भी पढ़ें- Bihar DElEd Result 2022: बिहार स्कूल एग्जामिनेशन बोर्ड ने जारी किया DElEd स्क्रूटनी परीक्षा का रिजल्ट, इस वेबसाइट से करें चेक


बोर्ड एग्जाम में 18 बच्चे फर्स्ट डिवीजन से हुए पास


स्कूल के प्रिंसिपल ने बताया कि एक ही कमरे में कक्षा 7वीं, 8वीं, 9वीं, 10वीं की पढ़ाई हो रही है, जबकि उसमें मात्र 20 बच्चे मौजूद थे. टीचर ने बताया कि तीन छात्र 9वीं कक्षा के हैं, जबकि स्कूल के रजिस्टर के मुताबिक आठ बच्चों का 9वीं में नामांकन हुआ है. 10वीं में अभी तक एक भी बच्चा नहीं है, लेकिन बोर्ड एग्जाम के लिए रजिस्ट्रेशन जरूर होता है. 2022 के बोर्ड एग्जाम में इस स्कूल से 38 बच्चे परीक्षा दिए थे जिसमें 33 बच्चे उत्तीर्ण हुए. उनमें से 18 बच्चे तो फर्स्ट डिवीजन से बोर्ड एग्जाम पास किए थे. वें छात्र कहां से पढ़ाई किए थे, यह कहना मुश्किल है. क्योंकि स्कूल में क्या पढ़ाई होती है यह देखने की चीज है. स्कूल में पढ़ाई की कोई व्यवस्था नहीं है और सरकार सिर्फ बोर्ड का एग्जाम लेकर अपनी पीठ थपथपा लेती है.


स्कूली शिक्षा में गुणवत्ता का दावा कितना सही?


स्कूल के प्रिंसिपल ने बताया कि कक्षा एक से 10वीं तक के यहां क्लास लिए जाते हैं. एक से 8वीं तक में लगभग 500 से ज्यादा बच्चे इस स्कूल में नामांकित हैं, लेकिन इन क्लासों में भी बच्चे की भारी कमी देखी गई. कुल मिलाकर 50 से 60 बच्चे ही स्कूल में दिखें. शिक्षा विभाग का स्कूली शिक्षा में गुणवत्ता का दावा कितना सही है,  इसका अंदाजा इस स्कूल को देखने से ही लगाया जा सकता है.


ये भी पढ़ें- सोनू ने सोनू की सुन ली... नालंदा के इस 11 साल के बच्चे का पटना के स्कूल में सोनू सूद ने की व्यवस्था, पढ़ें क्या कहा