बिहारः अवैध बालू खनन के मामले में सरकार ने की बड़ी कार्रवाई, 2 IPS समेत 18 अफसर किए गए सस्पेंड
बताया जाता है कि इन सभी अफसरों को आर्थिक अपराध इकाई की जांच रिपोर्ट के आधार पर पहले ही पद से हटा दिया गया था. अब मंगलवार को निलंबन की कार्रवाई की गई है.
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पटनाः बिहार सरकार ने बालू के अवैध खनन मामले में दो आईपीएस अधिकारी सुधीर कुमार पोरिका व राकेश दुबे और 16 पुलिस और प्रशासनिक अफसरों को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया है. खनन विभाग के सहायक निदेशक संजय कुमार पर भी कार्रवाई की गई है. वहीं दो खनन पदाधिकारियों की सेवा सहकारिता विभाग को वापस करते हुए उन्हें निलंबित किए जाने की अनुशंसा की गई है.
गृह विभाग ने आदेश में भोजपुर के तत्कालीन एसपी राकेश दुबे और औरंगाबाद के तत्कालीन एसपी सुधीर कुमार पोरिका की अवैध बालू खनन व ढुलाई में शामिल रहने का आरोप लगाया है. दोनों पर बालू के अवैध उत्खनन, भंडारण एवं परिवहन में अपने दायित्वों का निर्वहन नहीं करने, इसमें संलग्न लोगों को मदद पहुंचाने, अवैध उत्खनन व परिवहन में संलिप्त रहने, अपने अधीनस्थ पदाधिकारियों पर प्रभावी नियंत्रण नहीं रखने एवं संदिग्ध आचरण से संबंधित आरोप लगाए गए हैं.
वहीं, यह भी स्पष्ट किया गया है कि आर्थिक अपराध इकाई की जांच रिपोर्ट के बाद डीजीपी की अनुशंसा पर निलंबन की कार्रवाई की जा रही है. निलंबन अवधि में दोनों एसपी का मुख्यालय पटना रेंज के आईजी का कार्यालय होगा. निलंबन अवधि में सिर्फ जीवन निर्वाह भत्ता दिया जाएगा. विभागीय कार्रवाई के लिए आदेश अलग से निर्गत किया जाएगा. निलंबित अफसरों में औरंगाबाद और भोजपुर के तत्कालीन एसपी, डेहरी के एसडीओ सुनील कुमार सिंह, 4 एसडीपीओ, 3 अंचलाधिकारी, 5 खनन पदाधिकारी और 1 मोटरयान निरीक्षक शामिल हैं.
इन सभी अफसरों को आर्थिक अपराध इकाई की जांच रिपोर्ट के आधार पर पहले ही पद से हटा दिया गया था. अब मंगलवार को निलंबन की कार्रवाई की गई है. इसके अलावा बिहटा के सीओ विजय कुमार सिंह और बिक्रम के सीओ वकील प्रसाद सिंह को उनके पद से हटाते हुए उनकी सेवा उनके पैतृक विभाग क्रमश: सहकारिता विभाग व योजना विकास विभाग में वापस कर दी गई है.
निलंबित एसडीपीओ के मुख्यालय छोड़ने पर रोक
औरंगाबाद सदर के तत्कालीन एसडीपीओ अनूप कुमार, भोजपुर के पंकज कुमार रावत, पाली के तनवीर अहमद और डेहरी के संजय कुमार को राज्य के सुरक्षा हितों पर प्रतिकूल प्रभाव डालने, कर्तव्य के प्रति उदासीनता, लापरवाही व सरकारी आदेश की अवहेलना के आरोप में निलंबित किया गया है. निलंबन अवधि में सक्षम पदाधिकारी के आदेश के बिना मुख्यालय नहीं छोडऩे का निर्देश दिया गया है.
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