पटना: बिहार में कोरोना के बेकाबू होते हालात को देखते हुए राज्य सरकार ने 5 मई से 15 मई तक सूबे में लॉकडाउन का एलान किया है. लॉकडाउन के एलान के बाद सरकार की सहयोगी पार्टी हम ने सरकार के फैसले के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. पार्टी के नेता और प्रवक्ता दानिश रिजवान ने कहा, " बिहार सरकार ने राज्य में लॉकडाउन का फैसला निःसंदेह हाईकोर्ट की टिप्पणी के बाद लिया है, लेकिन  हमें लगता है कि इस फैसले के बाद कहीं न कहीं से राज्य का गरीब तबका निराश होगा." 


गरीबों को मिलनी चाहिए छूट


दानिश रिजवान ने कहा, " गरीब कोरोना से बच भी गए, तो भूख से मर जाएंगे. न्यायालय ने टिप्पणी जरूर की है, लेकिन न्यायालय को गरीबों का ख्याल रखना चाहिए था. खासकर उनका जो रोजाना कमाते-खाते हैं. ऐसे में हमारा सरकार से अनुरोध है कि आपने लॉकडाउन का फैसला तो ले लिया है, लेकिन गरीबों और दिहाड़ी मजदूरों के बारे में आपको सोचना ही होगा. उनको हर मामले में छूट मिलनी ही चाहिए. "


उन्होंने कहा, " जिन लोगों ने बैंक से लोन लिया है, जो किराए के मकान में रहते हैं, उनका किराया माफ होना चाहिए, लोन का इंटरेस्ट माफ होना चाहिए. सरकार को इस ओर ध्यान देना चाहिए. नहीं तो जनता के बीच में आक्रोश पनपेगा, जिसका नतीजा बिल्कुल खराब होगा."


 






एलजेपी और कंग्रेस ने दी ये प्रतिक्रिया


वहीं, लॉकडाउन के फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए एलजेपी ने ट्वीट कर कहा, " बिहार में हाईकोर्ट के हस्तक्षेप और प्रदेश सरकार को फटकार मिलने के बाद लॉकडाउन लगाया गया है. अगर लॉकडाउन कुछ दिन पूर्व में लगाया गया होता तो कई जाने बचाई जा सकती थी. नीतीश कुमार ने लॉकडाउन लगाने में भी देरी की." हालांकि, कांग्रेस ने सरकार के इस फैसले का स्वागत किया है. कांग्रेस नेता प्रेम चंद्र मिश्रा ने ट्वीट कर कहा, " बिहार में लॉकडाउन की घोषणा का समर्थन है, इसे पहले ही करना चाहिए था."


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