मोतिहारी: बिहार स्वास्थ्य विभाग अपने उटपटांग कारनामों के लिए अक्सर सुर्खियों में रहता है. ताजा मामला बिहार के मोतिहारी जिले का है, जहां स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारियों ने आपस में मिलीभगत कर रिटायर हो गई महिलाकर्मी को मृत घोषित कर दिया. सेवांत लाभ का गबन करने की नीयत से की गई गड़बड़ी का खुलासा तब हुआ जब सात समंदर पार रह रही महिलाकर्मी ने डीएम और सिविल सर्जन को व्हाट्सएप मैसेज भेजकर अपने जीवित होने का प्रमाण दिया.
डीएम ने गठित की जांच टीम
गड़बड़झाले का खुलासे होने के बाद हड़कंप मच गया. डीएम शीर्षत कपिल ने मामले की जांच के लिए तीन सदस्यीय जांच टीम का गठन कर दिया है. जांच के पहले चरण में सिविल सर्जन के स्टेनो की संलिप्तता सामने आई है. सिविल सर्जन ने कहा कि स्टेनो मनोज शाही ने उन्हें विश्वास में लेकर धोखे से गलत कागजात पर हस्ताक्षर करवा लिया है.
बता दें कि कथित तौर पर मृत डॉ.अमृता जायसवाल छौड़ादानो प्रखंड स्थित अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र, बेला गांव में पदस्थापित थीं. उन्होंने वर्ष 2013 में स्वैच्छिक सेवानिवृति ले ली थी. सेवानिवृति के बाद वे ओमान चली गई थीं. लेकिन उन्हें एलआईसी और जीपीएफ का सेवान्त लाभ नहीं मिला था. इधर, स्वास्थ्य विभाग के कुछ कर्मियों ने मिलीभगत कर डॉ. अमृता जायसवाल को मृत घोषित करके उनकी सेवान्त लाभ की राशि का गबन का प्रयास किया गया, जिसके कागजात पर सिविल सर्जन अखिलेश्वर प्रसाद सिंह के हस्ताक्षर भी ले लिए गए.
महिला ने मैसेज कर किया खुलासा
इस बात की जानकारी जब डॉ.अमृता जायसवाल को लगी तो उन्होंने इस संबंध में डीएम शीर्षत कपिल अशोक, सिविल सर्जन अखिलेश्वर प्रसाद सिंह समेत कई अधिकारियों को व्हाट्सएप मैसेज भेजकर खुद को जीवित बताते हुए सारे मामले की जानकारी दी.
इस बाबत सिविल सर्जन डॉ. अखिलेश्वर प्रसाद सिंह ने कहा कि डॉ. अमृता जायसवाल के सेवान्त लाभ के फाइल पर धोखा से उनके स्टेनो मनोज शाही ने हस्ताक्षर करा लिया है. लेकिन, जब उन्हें स्टेनो पर शक हुआ तो पूरे मामले की तहकीकात शुरू की गई है. घोटाले में शामिल लोगों की तलाश की जा रही है. तीन सदस्यीय टीम जांच पूरी होने के बाद डीएम को रिपोर्ट सौंपेगी, जिसके बाद दोषियों पर कार्रवाई की जाएगी.
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