पटना: मृतक डॉक्टर को सिविल सर्जन के पद पर पदस्थापित किये जाने के मामले में मंगलवार स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों की खूब फजीहत हुई. विपक्ष के नेताओं ने इस मामले को सदन में उठाया और सरकार पर जमकर निशाना साधा. विपक्ष के हंगामे के बाद स्वास्थ्य विभाग के मंत्री मंगल पांडेय को पूरे मामले में सफाई देनी पड़ी. उन्होंने सबके सामने ये स्वीकार किया कि जानकारी के अभाव में ये गलती हुई है.
समय पर नहीं मिल पाई जानकरी
स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय ने कहा कि सिविल सर्जन स्तर के पदाधिकारी की पदस्थापना वरीयता की आधार पर होती है. इस प्रक्रिया के पूरा होने में कुछ समय लगता है. निश्चित रूप से जब यह संचिका बनी, उसके बीच में एक डॉक्टर की मौत हो गई. उसकी सूचना विभाग के वरीय पदाधिकारी तक पहुंचनी थी, लेकिन वह नहीं पहुंच पाई. इधर, सूचना मिलने के पहले ही नोटिफिकेशन जारी कर दिया गया.
मंगल पांडेय ने कहा कि विभाग के संज्ञान में जैसे ही विषय आया, तत्काल विभाग के संबंधित अधिकारियों से पूछताछ की गई है. वहीं, शेखपुरा सिविल सर्जन का जो पद है, वहां तत्कालीन रूप से सीनियर डॉक्टर को प्रभार दे दिया गया है.
बिहार में बेहतर तरीके से हो रहा वैक्सीनेशन
कोरोना टीकाकरण को लेकर मंगल पांडेय ने कहा कि भारत सरकार के गाइडलाइंस के आधार पर टीकाकरण का काम चल रहा है. बहुत बेहतर तरीके से बिहार में कोरोना वैक्सीनेशन का काम चल रहा है. बिहार में पत्रकारों के वैक्सीनेशन के सवाल पर उन्होंने कहा कि हमने केंद्र सरकार से इस संबंध में आग्रह किया है. हमने कहा है कि पत्रकारों को भी कोरोना वैक्सिसन लगाने की अनुमति दी जाए.
गौरतलब है कि सोमवार को विभाग ने 12 अधिकारियों के तबादले का नोटिस जारी किया था. नोटिस में शामिल 12 डॉक्टरों में से एक डॉक्टर रामनारायण राम की मौत हो चुकी है. लेकिन, जानकारी के अभाव में विभाग ने उनका तबादला करने के साथ ही उन्हें प्रोमोशन भी दिया था.