पटना: बिहार में कोरोना टेस्ट की डेटा में कथित तौर पर फर्जीवाड़े करने के मामले के तूल पकड़ने के बाद स्वास्थ्य विभाग ने बड़ी कार्रवाई की है. जांच में गड़बड़ी करने वाले स्वास्थ्य कर्मियों और अधिकारियों को निलंबित कर दिया गया है. वहीं, पूरे मामले की जांच के लिए टीम बना दी गयी है. इस बात खुद सूबे के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय ने जानकारी दी है.
टीम अलग-अलग जिलों में करेगी जांच
स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे ने कहा कि जमुई के सिविल सर्जन समेत 7 पदाधिकारियों पर कार्रवाई की गई है. इन सभी को कोरोना जांच में लापरवाही बरतने के आरोप में सस्पेंड किया गया है. साथ ही पूरे बिहार में कोविड टेस्ट से जुड़ी गड़बड़ियों की जांच के लिए विशेष टीम भी बनाई गई है,जो अलग-अलग जिलों में जा कर जांच कर रही है.
किसी को बख्शा नहीं जाएगा
स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय ने कहा कि जिन्होंने ने भी गड़बड़ी की होगी उनके छोड़ा नहीं जाएगा, सभी लोगों पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी.
गौरतलब है कि कोरोना जांच की संख्या को बढ़ाने के लिए किए गए कथित फर्जीवाड़े का मामला शुक्रवार को राज्यसभा में उठाया गया था. आरजेडी के राज्यसभा सांसद मनोज झा ने सदन में इस मामले को उठाते हुए केंद्र सरकार से जांच की मांग की थी. वहीं, उनकी मांग को उचित मानते हुए सभापति वेंकैया नायडू ने भी मामले को गंभीर कह कर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन से मामले की जांच करवाने का आग्रह किया था.
आरजेडी सांसद ने कही थी ये बात
शून्यकाल में आरजेडी नेता मनोज झा ने यह मुद्दा उठाते हुए कहा था कि दो-तीन दिनों से बिहार में कोरोना वायरस की जांच रिपोर्ट में आंकड़ों में कथित गड़बड़ी होने की खबरें आ रही हैं. उन्होंने कहा ‘‘ये खबरें चिंताजनक हैं. इनमें दावा किया गया है कि कोरोना वायरस की जांच रिपोर्ट में फर्जी डाटा एंट्री की गई हैं. इसकी उच्च स्तरीय जांच की जानी चाहिए.’’ मनोज झा ने यह भी कहा ‘‘ इस तरह की गड़बड़ी रोकने के लिए आधार कार्ड और पैन कार्ड जैसे दस्तावेज पेश करना अनिवार्य बनाया जाना चाहिए.’’
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