पटना: बिहार में कोरोना जांच में गड़बड़ी का खुलासा होने के बाद विवाद जारी है. विपक्ष लगातार सरकार को इस मुद्दे पर घेर रही है. इसी विवाद के बीच स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव प्रत्यय अमृत ने शनिवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस की. इस दौरान उन्होंने पूरे मामले पर सफाई पेश की है. हालांकि, उन्होंने ने यह माना है कि कहीं-कहीं गड़बड़ी सामने आई है. ऐसा नहीं होना चाहिए था, लेकिन हुआ है. अब दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की जा रही है.


ओटीपी से किया जाएगा वेरिफिकेशन


वहीं, कोविड टेस्ट में गलत डेटा की एंट्री को देखते हुए स्वास्थ्य विभाग ने लिया फैसला लिया है कि आरटीपीसीआर टेस्ट कराने वालों के मोबाइल नम्बर का ओटीपी से वेरिफिकेशन किया जाएगा. इस बात की जानकारी देते हुए प्रत्यय अमृत ने कहा कि अब ओटीपी के जरिए कोरोना टेस्ट करवाने वालों को वेरीफाई किया जाएगा, जिससे आगे किसी प्रकार की गड़बड़ी ना हो.


उन्होंने कहा कि बिहार में आरटीपीसीआर जांच की क्षमता जून-जुलाई में 1000 की भी नहीं थी. ऐसे में टेस्ट, ट्रैक और ट्रिक बहुत जरूरी था. विधानसभा चुनाव के समय टेस्टिंग लगातार होती रहे, यह हमारे लिए चुनौती थी. छठ को देखते हुए भी यह कोशिश की गयी कि जांच में कोई कमी नहीं आए.


कई जिलों में भेजी गई स्वास्थ्य विभाग की टीम


जांच में पाई गई अनियमितताओं को लेकर उन्होंने कहा कि जमुई और शेखपुरा के जिलाधिकारी को जांच का आदेश दिया गया है. साथ ही दस जिलों में स्वास्थ्य विभाग की तरफ से टीम भेजी गई है. बाकी, 26 जिलों के डीएम को कहा गया कि वे अपने जिले में पता और नंबर की रैंडम जांच करें.


उन्होंने बताया कि बरहट और सिकंदरा में अधिकांश जगह नंबर और एड्रेस गलत पाया गया है. शेखपुरा में भी जांच रिपोर्ट में गड़बड़ी हुई है. व्यक्ति तो मिल रहे हैं, लेकिन मोबाइल नंबर मैच नहीं कर रहा. वहीं, अररिया के फारबिसगंज में व्यक्ति मिल गए, लेकिन मोबाइल नम्बर शून्य है, कहीं एएनएम का नंबर है. ऐसे में अररिया सिविल सर्जन से स्पष्टीकरण मांगी गई है.


इनके खिलाफ जारी किया गया नोटिस


प्रत्यय अमृत ने बताया कि जमुई के जिला कार्यक्रम प्रबंधक, दो ब्लॉक स्वास्थ्य प्रबंधक, दो सहायक नर्सिंग स्टाफ के साथ दो प्रयोगशाला टेक्नीशियन के खिलाफ कार्रवाई की प्रक्रिया शुरू की गई है. प्रभारी अधीक्षक सदर अस्पताल, अररिया, उपअधीक्षक, उपविभागीय अस्पताल फारबिसगंज और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र अररिया और फारबिसगंज के प्रभारी चिकित्सा अधिकारी को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है.


राज्यसभा में उठया गया था मुद्दा


गौरतलब है कि बिहार में कोरोना जांच के दौरान कथित फर्जीवाड़े की खबर मीडिया में आने के बाद आरजेडी के राज्यसभा सांसद मनोज झा ने सदन में इस मामले को उठाया था, जिसके बाद प्रधान सचिव ने बताया था कि केंद्र सरकार को इसकी रिपोर्ट भेजी जा चुकी है. कुछ कर्मी या पदाधिकारी के चलते गलती हुई है. उसके चलते पूरे राज्य पर सवाल खड़ा करना उचित नहीं है. इस पूरे मामले पर सीएम नीतीश कुमार ने भी बयान दिया था. उन्होंने कहा था कि कहीं कोई गड़बड़ी नहीं हुई है. जांच चल रही है और अगर कहीं हुई है, तो इसपर कार्रवाई होगी.


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