कैमूर: जब कोई जनप्रतिनिधि सांसद, मंत्री या विधायक बनते हैं तो उनके गांव की लोगों को बहुत खुशी होती है. खुशी इस बात की, कि अब उनके गांव का विकास होगा. गांव के नेता ग्रामीणों के उत्थान के लिए काम करेंगे. बीजेपी सांसद मनोज तिवारी के पैतृक गांव अतरवलिया के लोगों ने भी ऐसा ही सोचा था. लेकिन उनके सपनों पर पानी फिर गया. गांव में स्वास्थ्य व्यवस्था बदहाल है, जिससे कोरोना काल में लोग डर के साए में जी रहे हैं.
केवल कागजों पर संचालित है उप स्वास्थ्य केंद्र
बता दें कि बिहार के कैमूर जिले के मोहनिया प्रखंड में पड़ने वाले अतरवलिया गांव में निजी मकान में उप स्वास्थ्य केंद्र बनाया गया है, जो केवल कागज पर चलता है. ग्रामीणों को उसका कोई लाभ नहीं मिलता. स्थिति ये है कि जिस बिल्डिंग में उप स्वास्थ्य केंद्र संचालित किया जा रहा है, वहां सरकारी अस्पताल का बोर्ड तक नहीं लगा है. सरकारी अस्पताल के बदले वहां निजी अस्पताल का पोस्टर लगाकर रखा गया है.
बीजेपी सांसद का गांव अतरवलिया जिले के शाहबाजपुर पंचायत में आता है. इस गांव में बने उप स्वास्थ्य केंद्र पर अन्य 40 गांव के लोग निर्भर हैं. लेकिन कोरोना काल में उप स्वास्थ्य केंद्र में ना तो डॉक्टर आते हैं और ना ही एएनएम लोगों को दवा देने और कोरोना जांच करने के लिए पहुंची हैं. ग्रामीणों की मानें तो स्वास्थ्य विभाग की ओर से अब तक गांव के लोगों का कोरोना टेस्ट नहीं किया गया है. एक महीने पहले टीम आई थी, जिसने कुछ लोगों को वैक्सीन लगाया था.
झोलाछाप डॉक्टर के सहारे हैं लोग
अतरवलिया के लोगों ने बताया कि सालों पहले डॉक्टर उप स्वास्थ्य केंद्र में आते थे. लेकिन अब यहां कोई नहीं आता है. कागजों पर ही स्वास्थ्य केंद्र चलता है और उसके के नाम पर निजी मकान को पेमेंट किया जाता है. जब गांव में कोई बीमार पड़ता है, तो झोलाछाप डॉक्टर का सहारा लेना पड़ता है. हालात गंभीर होने पर मरीज को गांव से 10 किलोमीटर दूर मोहनिया अनुमंडल अस्पताल पहुंचाया जाता है.
इस संबंध में जब मोहनिया अनुमंडल अस्पताल उपाधीक्षक डॉ. एके दास से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि सप्ताह में दो दिन बुधवार और शुक्रवार को एएनएम उप स्वास्थ्य केंद्र पर पहुंचती हैं और लोगों के बीच सरकारी सेवा देती हैं. उप स्वास्थ्य केंद्र के बंद होने का जानकारी नहीं मिली है. अब जब जानकारी मिली है तो पूरे मामले की जांच कराई जाएगी.
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