गया: बिहार के गया में स्वयं सहायता समूह की महिलाओं द्वारा हर्बल गुलाब बनाया जा रहा. भगवानपुर गांव में आजीविका मिशन के तहत स्वयं सहायता समूह की महिलाओं द्वारा रसायन रहित अरारोट और फूड कलर को मिलाकर हर्बल गुलाल बनाया जा रहा है. गांव के कई घरों में महिलाएं घर पर बैठकर हर्बल गुलाल बना रही. घर-घर में महिलाएं पीला, हरा, गुलाबी सफेद सहित अन्य रंगों में हर्बल गुलाल बनाने में जुटी हुई है.


अच्छी आमदनी हो जाती है


होली की तैयारी के लिए हर्बल गुलाल में जुटी स्वयं सहायता समूह की महिला सुधा सिंह बताती हैं कि भारत सरकार के एसडीआरसी और आईआईआई द्वारा प्रशिक्षण दिया गया है. इसके बाद से महिलाएं इस काम में लगी हैं. हर्बल गुलाल बनाकर अच्छी खासी आमदनी भी हो जा रही है. मार्केट में हर्बल गुलाल का डिमांड भी बहुत ज्यादा होता है. लोग केमिकल युक्त गुलाल से काफी परेशान रहते हैं. उसका इस्तेमाल करना नहीं चाहते हैं जिससे कि उनको गुलाल बनाने के बाद काफी फायदा भी होता है.


सौ किलोग्राम हर्बल गुलाल बनाने का लक्ष्य


महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए सरकार द्वारा स्वयं सहायता समूह मिशन द्वारा स्वरोजगार की व्यवस्था की जाती है ताकि घर बैठे स्त्रियों को घर खर्च की व्यवस्था हो सके. इसी के अंतर्गत गया में महिलाएं हर्बल गुलाल बनाने में जुटी हुई हैं. इस साल एक सौ किलोग्राम हर्बल गुलाल बनाने का लक्ष्य है. इसमें 25 किलोग्राम से अधिक गुलाल तैयार हो चुका है.


महिलाएं इन गुलालों को खुद से पैकिंग करती और आर्डर पर दुकानों को खुद से पहुंचाती भी हैं. बता दें कि मार्केट में हर्बल गुलाल की डिमांड बहुत ज्यादा है. खास कर महिलाएं अपने स्किन और बालों को लेकर सेंसेटिव रहती हैं. इसी कारण वह हर्बल गुलाल खरीदना पसंद करती हैं. आठ मार्च को होली है. इसे लेकर बिहार समेत देश भर में धूम धड़ाके का माहौल है.


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