नवादा: टाउन थाना में पोस्टेड पांच पुलिसकर्मियों को हाजत में बंद करने के मामले में नया मोड़ आया है. कुछ समय पहले राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग ने पत्र लिखकर साफ तौर पर 21 दिनों के अंदर आरोपियों पर कार्रवाई करने की मांग की थी. अब इस मामले में गृह विभाग से पुलिस महानिदेशक को एक पत्र लिखा गया है. पत्र में आयोग द्वारा मामले को संज्ञान में लेने की बात का हवाला देकर अब तक की कार्रवाई की रिपोर्ट मांगी गई है.


पत्र को गृह विभाग की ओर से विकास वैभव ने राज्य के डीजीपी के नाम लिखा है. लेटर में कहा गया है कि मामले में अब तक जो भी जांच हुई है, उससे राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग को अवगत कराएं. इसके साथ ही उसकी एक कॉपी गृह विभाग को भी दें. गृह विभाग के सचिव विकास वैभव ने 26 सितंबर को राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग द्वारा लिखे गए पत्र का हवाला दिया है जिसमें 21 दिनों के भीतर मामले को लेकर जांच करने और रिपोर्ट देने की बात कही गई थी.


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विकास वैभव ने 29 सितंबर को राज्य के डीजीपी को एक लेटर लिखा. लेटर में इस प्रकरण में की गई कार्रवाई के बारे में सीधा राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग को अवगत कराने की बात कही है. साथ ही उसकी एक कॉपी गृह विभाग को भी देने के निर्देश दिए हैं. यानी कि उन्होंने बिहार सरकार से सीधा 21 दिनों में रिपोर्ट तलब करने की बात कही है.


जांच का आदेश देने वाले एडीजी का बदल गया विभाग


इस मामले में बिहार पुलिस एसोसिएशन की तरफ से शिकायत उस वक्त के एडीजी कमजोर वर्ग व सीनियर आईपीएस अधिकारी अनिल किशोर यादव से की गई थी. घटना सात सितंबर को घटी थी. वहीं शिकायत के बाद 14 सितंबर को एडीजी यादव ने आदेश जारी कर गया के आईजी को पूरे मामले की जांच करके सात दिनों के अंदर रिपोर्ट देने को कहा था. साथ ही नवादा के ही एससी-एसटी थाने में एफआईआर दर्ज करने का भी आदेश दिया था. इस मामले में अब तक न तो कोई जांच हुई और न ही कोई रिपोर्ट आई लेकिन, मामले की जांच को लेकर आदेश जारी करने वाले एडीजी अनिल किशोर यादव का विभाग जरूर बदल दिया गया. 


एबीपी ने किया था स्टिंग ऑपरेशन


बता दें कि एबीपी न्यूज ने ही स्टिंग ऑपरेशन कर पूरे मामले पर एक्सक्लूसिव खबर सबसे पहले दिखाई थी. नवादा के टाउन थाना में पोस्टेड पुलिसकर्मियों को हाजत में बंद किया गया था. इस दौरान नवादा एसपी गौरव मंगला वर्दी में थे. एबीपी से एसपी ने कहा था कि उनके द्वारा किसी को भी हाजत में बंद नहीं किया गया है. पुलिसकर्मियों में से दो एससी-एसटी और एक आदिवासी थे. इस पूरे मामले ने अब फिर 25 दिनों बाद तूल पकड़ा है.


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