Bihar Hooch Tragedy: बिहार शराबकांड में कई चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं. इस खुलासे के बाद से बिहार की राजनीति में तूफान की स्थिति है. विरोधी दलों के नेता अब नीतीश सरकार की नीयत पर सवाल उठाने लगे हैं. पीड़ित लोगों के साथ विरोधी दलों के नेताओं का कहना है बिना पोस्टमार्टम के शव को जलाना इंसानियत के साथ माजक है. क्या नीतीश कुमार को सुशासन बाबू इसलिए कही कहा जाता है?
मुआवजा नहीं मिलना था, इसलिए जला दी गईं लाशें
असल, बिहार शराबकांड में सबसे ज्यादा मौत वाली छपरा के मिसरक की बहरौली ग्राम पंंचायत के मुखिया अजीत सिंह ने abp न्यूज को बताया कि लोगों ने बिना पोस्टमार्टम के ही लाशें जला दी. अजीत सिंह ने ये भी खुलासा कि सबको पता था कि शराब बिक रही है, शिकायत भी हुई लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई. जीत सिंह की तरह मिसरक की गंगौली ग्राम पंचायत की मुखिया ज्ञानती देवी के पति परमात्मा मांझी ने खुलासा किया है कि लोगों ने डर के मारे खुद ही लाशें जला दी. मांझी के मुताबिक मरने वालों की संख्या ज्यादा है. मुआवजा नहीं मिलना था, इसलिए भी लाशें जला दी गई.
बारातियों को जहरीली शराब सर्व करने की थी तैयारी
इस मामले में गनीमत यह है कि जहरीली शराब छपरा में बारातियों तक नहीं पहुंच पाई. यह शराब बारातियों के बीच भी परोसा जाना था. अगर ऐसा हुआ होता आज तस्वीर कुछ और होती. मौतों का जो आंकड़ा अभी छपरा से सामने आ रहा है वह आज और ज्यादा हो सकता था. बहरौली ग्राम पंचायत के मुखिया अजीत सिंह ने कहा कि सबसे अधिक मौतों वाले बहरौली ग्राम में शराब के वेंडर शैलेंद्र राय ने कई लीटर शराब जमा कर रखी थी. उसके पड़ोस में बारात थी. बारात में शराब की सप्लाई होने वाली थी लेकिन शैलेंद्र राय ने सप्लाई से पहले खुद पी ली और उसकी जान चली गई. अगर बारातियों तक शराब पहुंच जाती तो हाहाकार मच सकता था.
बिना पोस्टमार्टम के ही जला दी गईं लाशें
छपरा के मशरक की बहरौली ग्राम पंचायत में तीन ऐसे मामलों की पुष्टि हुई है जहां जहरीली शराब से मौत हुई, लेकिन पोस्टमार्टम नहीं कराया गया. ऐसे ही शव को जला दिया गया. ऐसा सिर्फ डर के चलते किया गया. कोई नहीं चाहता था कि किसी झंझट में वो पड़ें, इसलिए बिना पोस्टमार्टम के ही लाश जला दी गई. बहरौली के मुखिया का कहना है कि मशरक ब्लॉक की गंगौली ग्राम पंचायत की मुखिया ज्ञानती देवी के पति परमात्मा मांझी ने भी बताया कि लोगों ने डर के मारे खुद ही लाशें जला दीं. मरने वालों की संख्या अधिक है. सभी शवों का पोस्टमार्टम ही नहीं हुआ. मुआवजा नहीं मिलना था, इसलिए भी लोगों ने लाशों को जला दिया.
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