Land Survey In Bihar: बिहार में जमीन बंदोबस्ती कानून 2024 से लागू होने के बाद ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों के बीच अपने निजी जमीन को लेकर ऊहापोह की स्थिति है. लोगों के बीच जागरूकता की कमी के कारण इन दिनों कथित समाजसेवी से लेकर राजनीतिक दलों के नेता, पंचायतों के जनप्रतिनिधियों और चौकीदारों का रुआबदार असर दिख रहा है. यही नहीं अनुमंडल कार्यालय में पदस्थापित कार्यपालक दंडाधिकारी घूस की डिमांड कर रहे हैं. डुमरा अनुमंडल कार्यालय में भ्रष्टाचार की एक तस्वीर देखने को मिली, यहां वंशावली के नाम पर कार्यपालक दंडाधिकारी डुमरांव एजाजुद्दीन अहमद पर अवैध उगाही का आरोप लगा है. 


राज्य सरकार ने जारी की है स्पष्ट गाईड लाइन 


सरकार का कोई निर्देश नहीं है, फिर भी चौकीदार से लेकर आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं और कोर्ट के अलावा अनुमंडल कार्यालय में दरबार सज रहे हैं. भोले-भाले ग्रामीण जब अपने मुखिया सरपंच के पास पहुंचते हैं तो कोई मार्गदर्शन न ही कोई जानकारी दिए बस सीधे आंगनबाड़ी और चौकीदार के अलावा वंशावली के लिए कार्यपालक दंडाधिकारी का रास्ता बता दिया जा रहा है. राज्य सरकार की स्पष्ट गाईड लाइन है कि स्वघोषित वंशावली और लगान रसीद के साथ साथ आधार कार्ड और मोबाइल नंबर के साथ उपलब्धता के आधार पर जमीन खरीदारी, खाता खतियान लगाना है. नियमों का प्रचार प्रसार न ही कर्मचारी कर रहे ना अधिकारी कर रहे हैं. बिचौलिये के हाथों भोले भाले किसान थक हार कर दलालों के चक्कर लगा रहे हैं.


हालांकि कुछ पंचायत में जागरूकता भी देखी जा रही है, जहां स्थानीय मुखिया पंचायत सरकार भवन पर बैठकर लोगों की फरियाद भी सुनते नजर आए. राज्य सरकार ने पूर्व में ही बिहार के 45 हजार एपीएल सर्वे तैयारी कर अपने कर्मचरियों को दे कर नाबाद बिहार सरकार और केशरी हिन्द की सरकार भूमि की उपलब्धता सुनिश्चित कर अब रैयतों की जमीन के लिए सभी किसानों से स्वघोषित आवदेन एक फॉर्मेट में मांगा गया है. जिससे किसानों की भूमि का स्थल निरीक्षण किया जा सके. इस पूरे मामले को लेकर जब एबीपी की टीम ग्राउंड रिपोर्टिंग के लिए केसठ प्रखंड पंचायत सरकार भवन पहुंची, तो वहां पीड़ित किसान घुराहु यादव ने बताया कि सर्वे आने के बाद घर-घर में झगड़ा की स्थिति उत्पन्न हो गई है.


कागजात दुरुस्त करने के लिए ऑफिस में कोई मिलता नहीं है. कागज बनवाने के लिए जगह-जगह अवैध पैसा का डिमांड किया जा रहा है. डुमरांव अनुमंडल कार्यालय नोटरी कोर्ट में पहुंचने पर अरियांव गांव से आए मुखिया प्रतिनिधि ओमप्रकाश सिंह ने बताया कि वंशावली में बहुत परेशानी हो रही है. ग्राम सेवक फर्स्ट क्लास मजिस्ट्रेट का वंशावली मांग रहे हैं. उसमें 500 लग रहा है. कागजात दुरुस्त करने में जहां खुलेआम मजिस्ट्रेट साहब 100 रुपये ले रहे हैं. इसके अलावा 100 का टिकट 200 रुपये का मिल रहा है. वकील साहब मनमानी कर रहे हैं, जहां इस पूरे मामले को लेकर अधिकारी मनमानी कर रहे हैं.


वहीं शिव लखन प्रसाद ने कहा कि सर्वे लड़ाई झगड़ा का घर है, परेशानी है, जहां सभी लोगों में डर फैला हुआ है कि सरकार जमीन ले लेगी, जो आपके नाम से नहीं है. इसलिए जो बाहर हैं वह अपना-अपना आधार कार्ड लेकर दौड़ रहे हैं. लोगों में अफवाह फैला हुआ है और ऑफिस में वकील से लेकर मजिस्ट्रेट तक अवैध पैसा उगाही कर रहे हैं. ऊपर से नीचे तक अवैध उगाही हो रही है और जनता इसमें पीस रही है.


जिला अधिकारी अंशुल अग्रवाल ने क्या कहा?


इस पूरे मामले को लेकर नोटरी सिविल कोर्ट डुमरांव के अनिल कुमार दुबे का यह मानना है, कि यह सर्वे घर-घर में झगड़े का जड़ है. आने वाले समय में विवाद का बहुत बड़ा भंडार बनेगा. इसको लेकर पूरी विधिवत जानकारी दी. वहीं बक्सर जिला अधिकारी अंशुल अग्रवाल ने लोगों से अपील करते हुए कहा कि किसी तरह के अफवाहों में ना पड़ें. जमीन संबंधी कोई भी कागजात जरूर दिखाएं. हर पंचायत में जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है. जिन लोगों में भ्रांतियां फैलाई जा रही हैं, कृपया वह जानकारी अवश्य लें. 


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