बिहार: कैमूर जिले के भभुआ थाना में पोस्टेड दारोगा की मोहनिय स्थित घर पर कोरोना से मौत हो गई. दरोगा के मौत की सूचना मिलते ही कैमूर एसपी दिलनवाज अहमद पीड़ित परिवार के घर वालों से मिलने के लिए पहुंचे. जहां उन्होंने शव को दफनाने से लेकर सारी सुविधाएं मिलने तक का आश्वासन दिया. वहीं, दूसरी तरफ शव दफनाने के लिए शव को लेकर मोहनिया प्रखंड के रतवारा नदी पर पहुंचे स्वास्थ्य कर्मियों को ग्रामीणों के आक्रोश का सामना करना पड़ा.
ग्रामीण हाथों में लाठी डंडे लेकर नदी के पास शव दफनाने से मना करने लगे. दो घंटे की कड़ी मशक्कत के बाद ग्रामीणों ने स्वास्थ्य कर्मी को शव के साथ खदेड़ दिया.
मृतक दरोगा डेढ़ माह में होने वाले थे रिटायर
कैमूर के एसपी दिलनवाज अहमद ने बताया कि इनको सांस लेने में परेशानी थी और सर्दी बुखार की शिकायत थी, जिसके बाद उनके बेटे द्वारा अनुमंडल अस्पताल मोहनिया में कोरोना जांच कराया गया था, तीन दिन पहले इनकी जांच रिपोर्ट पॉजिटिव आई थी. उन्होंने कहा कि जिस दरोगा ने कोरोना काल में अपनी जान की परवाह किए बगैर लोगों की जान बचाने के लिए अपनी जान गंवा दी, आज उनको दफनाने के लिए 2 गज जमीन के लिए ग्रामीण लाठी डंडे लेकर तैयार हैं.
ग्रामीणों से विवाद होता सुन मोहनिया सर्किल इंस्पेक्टर विंध्याचल कुमार भी जुगाड़ टेक्नोलॉजी से शव के पास पहुंचे. इस दौरान उनके चेहरे पर मास्क, तो दिखा लेकिन अपने बालों को बचाने के लिए वो पॉलिथिन लगाए दिखें.
मृतक दरोगा के बेटे बताते हैं कोरोना काल में मेरे पापा ने बहुत ज्यादा सेवा की, लेकिन उनके मरने के बाद मेरे ही शहर के ग्रामीणों द्वारा उनको दफनाने नहीं दिया जा रहा है. उन्होंने कहा कि मैं भी विकलांग हूं, काफी परेशानी हो रही है.
मोहनिया के सर्किल इंस्पेक्टर विंध्याचल कुमार बताते हैं ग्रामीण विरोध कर रहे हैं. हम लोग वरीय पदाधिकारियों से बात कर मार्गदर्शन ले रहे हैं. वही कैमूर एसपी दिलनवाज अहमद बताते हैं कि कैमूर पुलिस जान हथेली पर रखकर कोरोना काल में सबकी सेवा कर रही है. कब किसकी मौत हो जाए कहा नहीं जा सकता. फिर भी हम लोग नर्वस नहीं हैं, सेवा करने के लिए तैयार हैं.
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