मोतिहारी: सतयुग में अश्वमेध यज्ञ कराया जाता था. इस बात की सभी को जानकारी है, लेकिन बिहार के पूर्वी चंपारण जिले में मौजूदा समय में अश्वमेध यज्ञ होने जा रहा है. एक अप्रैल से 10 अप्रैल तक आयोजित इस यज्ञ के लिए चांदी का घोड़ा तैयार किया गया है, जिस पर सोने की पॉलिश चढ़ाई गई है. इस घोड़े को गाड़ी पर रखकर यूपी, नेपाल समेत बिहार के कई जगहों पर भ्रमण कराया जाएगा, जिसके बाद इसकी प्राण प्रतिष्ठा कर स्थापित कर दिया जाएगा.
जानें यज्ञ कराने की वजह
बता दें कि जिला निवासी व्यवसायी सह समाजसेवी डॉ. शंभूनाथ सीकारिया को स्वप्न में निर्देश मिला था कि वो अश्वमेध कराएं. ऐसा करने से उनको यश की प्राप्ति होगी. साथ ही भारत विश्व गुरु बनने की राह पर आगे बढ़ेगा. ऐसे में उन्होंने यज्ञ कराने का फैसला लिया. अश्वमेध यज्ञ की तैयारियां बड़े जोर जोर से मोतिहारी की धरती पर चल रही है. यज्ञ को लेकर आ रही वैदिक और सैद्धांतिक अड़चनों को दूर करते हुए सुमेरु पीठाधीश्वर जगत गुरु शंकराचार्य नरेंद्रानंद सरस्वती ने यज्ञ की आज्ञा दे दी है. वो ही इस महायज्ञ का शुभारंभ भी करेंगे.
मोतिहारी के सीकारिया बीएड कॉलेज के प्रांगण में होने वाले यज्ञ के संबंध में जानकारी देते हुए शंभूनाथ सीकारिया ने बताया कि अश्वमेध यज्ञ एक अप्रैल से 10 अप्रैल तक होगा. यज्ञ को लेकर चार अड़चनें थी, जिसमें घोड़े को लेकर मुख्य अड़चन आ रही थी. लेकिन वर्तमान प्रजातांत्रिक परिस्थिति में धातु के अश्व पर निर्णय हुआ, जिसके लिए चांदी निर्मित अश्व पर सोने का परत चढ़ाया गया है. ये वाहन द्वारा विभिन्न धार्मिक स्थलों का भ्रमण करेगा.
विभिन्न धार्मिक स्थलों से आएंगे 108 आचार्य
उन्होंने बताया कि भ्रमण के पश्चात वापस लौटे अश्व का अग्नि साक्षात्कार कर उसकी प्राण प्रतिष्ठा की जाएगी और उसे स्थापित कर दिया जाएगा. उन्होंने बताया कि अश्वमेध महायज्ञ का संचालन विभिन्न धार्मिक स्थलों से आए 108 आचार्य करेंगे. सीकारिया ने कहा कि उनकी पत्नी नहीं है. ऐसे में जिस तरह भगवान राम में मां सीता की मूर्ति बनाकर यज्ञ किया था, वो भी उसी प्रकार करेंगे.
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