पटना: लोकसभा चुनाव का नारा था "मोदी है तो मुमकिन है". अब बिहार विधानसभा चुनाव में पीएम मोदी ने नया नारा दे दिया है "नीतीश हैं तो कुछ भी संभव है". पटना की सड़कें इन दिनों यहीं कह रही हैं.


दरअसल, पिछले कुछ समय से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए सरकारी योजनाओं के उद्घाटन व शिलान्यास के दौरान पीएम मोदी और सीएम नीतीश एक दूसरे से जुड़ते हैं. इसी दौरान पीएम मोदी सीएम नीतीश की दिल खोलकर तारीफ भी करते हैं. जेडीयू पीएम मोदी के इन्हीं बयानों को भुनाने में लगी है.


पटना की सड़कों पर पार्टी की ओर से लगाए पोस्टरों में पीएम मोदी के बयान को कोट करते हुए लिखा गया है कि 'नीतीश जी जैस सहयोगी हो तो कुछ भी संभव है', 'आधुनिक बिहार को गढ़ने में नीतीश जी की अहम भूमिका है' आदि.


इसी मामले पर जब हमने बिहार सरकार में मंत्री व जेडीयू नेता अशोक चौधरी से बात की तो उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री जी ने जो मुख्यमंत्री की तारीफ की है, उसी का पोस्टर समर्थकों ने लगाया है. प्रधानमंत्री ने कहा है कि नीतीश जी हैं, तो सब संभव है. प्रधानमंत्री को लग रहा है कि नीतीश सरकार केन्द्रीय योजनाओं का लाभ उठा रही है. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री के साथ से आने वाले समय में नए बिहार का निर्माण होगा.


हालांकि जब हमने इसी मुद्दे पर आरजेडी प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी से बात की तो उन्होंने तीखा प्रहार करते हुए कहा कि सांप और नेवले की लड़ाई को पाटने के लिए यह पोस्टर लगाया गया है. उन्होंने कहा कि नीतीश जी और नरेंद्र मोदी जी की शुरू से ही तल्खी रही है. नरेंद्र मोदी जी के कारण ही नीतीश जी ने खाने का पत्तल आगे से खींच लिया था. अब जेडीयू को यह डर सता रहा है कि नरेंद्र मोदी इसका बदला लेने को तैयार हैं.


मृत्युंजय तिवारी ने कहा, "बिहार की जनता को यह विश्वास दिलाने के लिए इन लोगों ने पोस्टर लगाया है कि उनके बीच अब कलह नहीं है. लेकिन नरेंद्र मोदी जी अपना पुराना हिसाब- किताब कभी भी चुकता कर देंगे."


आरजेडी प्रवक्ता ने जेडीयू से सवाल किया कि पांच साल पहले यही प्रधानमंत्री नीतीश कुमार के बारे में क्या नहीं बोले थे, अब तारीफ कर रहे हैं. वह उस समय सही बोले थे या अब सही बोल रहे हैं.


गौरतलब है कि बिहार में अक्टूबर-नवंबर में विधानसभा चुनाव होने हैं, जिसको लेकर सभी पार्टियां कमर कस चुकी हैं. पोस्टर के जरिए पार्टियां कभी विपक्ष को कठघरे में खड़े करती हैं, तो कभी अपने नेता की तारीफ में कसीदे पढ़ती हैं. इसी कड़ी में जेडीयू भी मौके को भुनाने की कोशिश में लगी है.


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