Bihar Politics: जेडीयू मंत्री श्रवण कुमार का बीमा भारती पर निशाना, रुपौली विधासभा चुनवा की गिनती पर कही बड़ी बात
Shravan Kumar: जेडीयू मंत्री श्रवण कुमार ने बीमा भारती पर निशाना साधा है, कहा रुपौली विधासभा चुनवा में जनता ने बीमा भारती को नकार दिया. गिनती में तीसरे नंबर हैं.
Shravan Kumar Targets Bima Bharti: बिहार सरकार में जेडीयू मंत्री श्रवण कुमार ने शनिवार (13 जुलाई) को बिहारशरीफ सर्किट हाउस पहुंचे, जहां वो जनता से रूबरू हुए और उनकी समस्या सुनी. उस दौरान श्रवण कुमार ने एक बार फिर आरजेडी उम्मीदवार बीमा भारती पर जमकर निशाना साधा, मंत्री ने कहा कि पूर्णिया जिले के रूपैली विधानभा का रुझान आ रहा है, पहले हमारे पार्टी से बीमा भारती उम्मीदवार होती थीं और वहां की जनता उन्हें जिताने का काम करती थी. अब वो लगातार हार रही हैं.
बीमा भारती पर क्या बोले श्रवण कुमार
श्रवण कुमार ने कहा कि इस बार बीमा भारती ने जेडीयू छोड़कर आरजेडी का दामन थाम लिया और लोकसभा का चुनाव लड़ा. बीमा भारती ने नीतीश कुमार की पीठ में छुरा घोंपने का काम किया इतना ही नहीं सरकार को गिराने में लगीं रहीं. मगर वहां की जनता ने बीमा भारती को नकार दिया. इस बार विधासभा चुनवा में वह तीसरे स्थान पर हैं और हमारे उम्मीदवार आगे चल रहे हैं.
बीमा भारती को देखिए कि वह सेकेंड नंबर पर भी नहीं हैं. वहां को जो निर्दलीय हैं वह उनसे भी आगे चल रहे हैं. वहां की जनता ने जेडीयू के पक्ष में मतदान किया है और जनता नीतीश कुमार को नेता मानती है. जो जनादेश है उसका सबको सम्मान करना चाहिए और ऐसे भगेड़ू लोग, जो खंजर भोंकने और विश्वास के बजाय उनको धोखा देने का काम करते है उसके साथ जनता सही निर्णय लेती है. हम वहां की जनता का आभार प्रकट करते हैं और धन्यवाद और बधाई देते हैं.
निर्दलीय उम्मीद पर जनता को है भरोसा
बता दें कि रुपौली में शनिवार को वोटो की गिनती हुई, जिसमें शुरूआती दौर में जेडीयू के कलाधर मंडल 6 राउंड तक आगे रहे और निर्दलीय शंकर सिंह दूसरे नंबर पर थे. अचानक सातवें राउंड से खेल पलट गया. सातवें राउंड से ही शंकर यादव लगातार आगे हो गए और कलाधर मंजल पछड़ गए. बीमा भारती लगातार तीसरे नंबर पर ही बनी रहीं. यानी इस चुनाव में बीमा भारती को हार का सामना करना पड़ा. यानी जनता ने लोकसभा चुनाव की तरह विधानसभा उपचुनाव में भी निर्दलीय पर भरोसा जताया. ऐसा लगता है कि पूर्णिया की जनता को अब किसी पार्टी के नेता पर विश्वास नहीं है.