पटना:बिहार विधान सभा चुनाव में सबसे बड़ा मुद्दा रोज़गार रहा,बिहार में बेरोजगारी अपने चरम पर है. बेरोजगारी का आलम ऐसा कि बी टेक और बी एड पास युवा चपरासी की नौकरी के लिए लंबी लाइनों में लगे दिखे.


दरअसल पिछले एक महीने से बिहार विधान सभा के मुख्य द्वार के बाहर लगती है लंबी-लंबी लाइनें. आने जाने वाले शायद ही समझ पाए कि ये क्या हो रहा है. घण्टों सड़क के किनारे अपनी पारी का इंतजार करने वाले युवा विधान परिषद में नौकरी के लिये निकले आवेदन के साक्षात्कार को पहुंच रहे हैं.पिछले साल अक्टूबर में ऑन लाइन आवेदन लिए गए और अलग अलग केटेगरी बना कर 8 दिसम्बर से साक्षात्कार की शुरुआत हुई,और अब हर दिन सेकड़ों आवेदक अपनी पारी का इंतजार रहे हैं.



आवेदन जिन पदों के लिए निकाले गए थें उनमें सफाईकर्मी के 07 पद, फरास के 09 पद, माली के 06 पद, दरबान के 07 पद, रात्रि प्रहरी के 04 पद और कार्यालय परिचारी यानि चपरासी के 96 पदों की वैकेंसी थी.इन पदों के लिए आवेदक बी टेक,बी एड,ग्रेजुएट,पी जी यानी जहां दसवीं की योग्यता मांगी गई वहां बेरोजगारी का ये आलम की नौकरी के लिए जद्दोजहद में जुटे ये युवा पहुंच रहे हैं.


इस मामले पर बिहार सरकार के श्रम संसाधन मंत्री जीवेश मिश्रा का कहना है कि ये सरकारी नौकरी की ललक है इसलिए युवा ऐसा कर रहे हैं. नई सरकार 20 लाख रोज़गार का सृजन करके युवाओं को देगी.



अब जिस राज्य में चुनाव रोज़गार के मुद्दे पर हर बार लड़े जाते हों वहां बेरोज़गारी का ये है तो कहना गलत नही होगा कि इतनी लंबी लंबी डिग्रियां इस राज्य में दीवारों की शोभा बढाने से ज्यादा कुछ भी नही हैं.