बिहार: भोजपुर का लाल जिसने मजदूरी कर आर्मी लेफ्टिनेंट बनने तक का तय किया सफर
लेफ्टिनेंट बालबांका तिवारी के पिता विजय शंकर तिवारी एक साधारण किसान हैं बेटे की इस सफलता पर फूले नही समा रहे हैं पिता की माने तो उनके बेटे ने अपने जीवन में बहुत संघर्ष किया है, जिसका फल उसको देहरादून में आर्मी के पासिंग आउट परेड में पास होकर लेफ्टिनेंट बनने पर मिला है
भोजपुर: भोजपुर के एक और लाल ने एक बार फिर जिले का नाम रौशन किया. और मिक्सचर फैक्ट्री में मजदूरी कर आर्मी के लेफ्टिनेंट बनने तक का सफर तय किया और अपने पिता के साथ जिले का नाम भी बुलंदी पर पहुंचा दिया. भोजपुर जिला मुख्यालय आरा से 20 किलोमीटर दूर सुंदरपुर बरजा गांव के इस जवान ने आर्मी में लेफ्टिनेंट बनकर यह साबित कर दिया कि भोजपुर वीरों की धरती है. यहां के कई वीर सपूतों ने देश के लिए अपना योगदान और सहादत दिए है. बालबांका तिवारी नामक एस युवक ने यह साबित कर दिया कि संघर्ष ही सबसे बड़ी जीत होती है.
आर्मी में लेफ्टिनेंट बनने के बाद घर में खुशी का माहौल
लेफ्टिनेंट बालबांका तिवारी के पिता विजय शंकर तिवारी जो एक साधारण किसान हैं बेटे की इस सफलता पर फूले नही समा रहे हैं विजय शंकर तिवारी की माने तो उनके बेटे ने अपने जीवन में बहुत संघर्ष किया है, जिसका फल उसको देहरादून में आर्मी के पासिंग आउट परेड में पास होकर लेफ्टिनेंट बनने पर मिला है. बालबांका के पिता विजय ने कहा कि वो एक किसान है, किसान होने की वजह से पैसों की कमी हमेशा सताती रही जिसकी वजह से बालबांका भी ट्यूशन शिक्षक बन कर अपना खर्चा और अपनी पढ़ाई के लिए खर्च जुटाने लगे.
इसी बीच जब वो ओडिशा काम करने गए थे, तो घर के भरण पोषण के लिए उनके बेटे बालबांका तिवारी को भी उनके साथ काम करना पड़ा. 2008 में मैट्रिक की परीक्षा देने के बाद वो ओडिशा चले गए, जहां एक नमकीन फैक्ट्री में मजदूरी करते थे वहीं से 2010 में इंटर की पढ़ाई पूरी की.
उसके बाद 2012 में दानापुर में आर्मी की रैली की बहाली निकाल कर आर्मी में सिपाही के तौर पर बहाल हुए. 2012 में उनकी पोस्टिंग भोपाल में सेना ईएमई केंद्र में हुई, वहां चार साल सेवा देने के बाद 2017 में आईएमए टेस्ट में सफलता हासिल किया, साथ ही एसीसी में शामिल हो गए, जहां से उन्होंने आर्मी ऑफिसर के अपना योगदान देश को दिया. साथ ही आज 28 साल के उम्र में अपनी मेहनत से आर्मी में लेफ्टिनेंट बने हैं.
बालबांका तिवारी के चाचा कृपा शंकर तिवारी का कहना है कि बालबांका बचपन से ही पढ़ने में बहुत तेज और मेहनती थे. आज उन्होंने घर का ही नहीं बल्कि पूरे जिले का नाम रौशन किया है.