हाजीपुर: बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री सह आरजेडी (RJD) सुप्रीमो लालू यादव (Lalu Yadav) के तारे इनदिनों बुलंद हैं. नेता को बीते दिनों चारा घोटाला (Fodder Scam) मामले में मिली जमानत के बाद सात साल पुराने आचार संहिता उल्लंघन के मामले में भी हाजीपुर कोर्ट की ओर से राहत मिली है. दरअसल, 2015 में लालू यादव ने चुनावी सभा से अगड़े और पिछड़े की निर्णायक लड़ाई वाला बयान दिया था. इस मामले में चुनाव आयोग ने समाज में नफरत व घृणा फैलाने और चुनाव आचार संहिता उल्लंघन के आरोप में उनके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने का आदेश दिया था.


छोटे बेटे के लिए प्रचार करने पहुंचे थे लालू   


बता दें कि बिहार विधानसभा चुनाव 2015 के वक्त 27 सितंबर को राघोपुर विधानसभा क्षेत्र के सिरसिया गांव में आयोजित चुनावी सभा में अपने छोटे बेटे तेजस्वी यादव (Tejashwi Yadav) के पक्ष में प्रचार करते हुए आरजेडी सुप्रीमो ने विवादित बयान दिया था, जिसके बाद उनके खिलाफ अंचलाधिकारी की लिखित शिकायत के आधार पर राघोपुर विधानसभा क्षेत्र के गंगा ब्रिज थाना में प्राथमिकी दर्ज की थी. आरजेडी नेता के खिलाफ धारा-188 के तहत दो समुदाय के बीच नफरत और घृणा पैदा करने के मामले में प्राथमिकी दर्ज की गई थी. 


चार साल बाद कोर्ट ने लिया संज्ञान 


प्राथमिकी दर्ज होने के चार साल बाद 11 फरवरी, 2019 को हाजीपुर न्यायालय द्वारा मामले में संज्ञान लिया गया था और नोटिस जारी कर लालू यादव को कोर्ट में हाजिर होने का आदेश दिया था. लेकिन उस समय लालू चारा घोटाले मामले में रांची के जेल में बंद थे. इस कारण पेशी नहीं हो पाई. तब भी मामले में न्यायिक प्रक्रिया जारी रही. इसी क्रम में 18 अप्रैल, 2022 को लालू को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए हाजीपुर कोर्ट में हाजिर होना पड़ा, जिसके बाद हाजीपुर कोर्ट ने लालू यादव को शनिवार को 10 हजार के मुचलके पर जमानत दे दी. 


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