पटनाः बिहार में शहरों के विकास में अब जमीन बाधा नहीं बनेगी. सरकार ने यह साफ कर दिया है. इतना ही नहीं बल्कि सरकार मनमुताबिक जमीन का अधिग्रहण भी करेगी. शहरीकरण को बढ़ावा देने के लिए यह निर्णय लिया गया है. सोमवार को इस संबंध में बिहार विधानसभा में 'बिहार शहरी आयोजना' और 'विकास संशोधन विधेयक 2022' पारित किया गया. इसके साथ ही अब बिहार में यह नियम लागू हो गया है.


'बुनियादी सुविधाओं के अभाव के कारण होती है परेशानी'
सोमवार को विधानसभा में बिहार के उपमुख्यमंत्री सह नगर विकास मंत्री तारकिशोर प्रसाद (Tarkishore Prasad) ने कहा कि यह नियम तभी लागू होगा जब प्राधिकार को जमीन अधिग्रहण की आवश्यकता महसूस होगी. शहरों का विस्तार हो रहा है, लेकिन बुनियादी सुविधाओं का अभाव है. सड़कें चौड़ी नहीं हैं. लोगों को परेशानी होती है. प्राधिकार को छोड़ बाकी मामलों में वही प्रावधान लागू होगा कि जमीन अधिग्रहण में कम से कम 80 फीसद लोगों की सहमति जरूरी होगी.


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बहुमत के आधार पर संशोधन प्रस्ताव को किया गया खारिज
बदले में संबंधित जमीन वाले व्यक्ति को मुआवजा दिया जाएगा. अगर किसी शहर का डेवलपमेंट प्लान या मास्टर प्लान तैयार होता है तो इसके लिए भी जमीन का अधिग्रहण आसानी से किया जा सकेगा. इन कार्यों के लिए जमीन का अधिग्रहण करने के लिए भूमि मालिकों से सहमति के न्यूनतम प्रतिशत का कोई प्रावधान नहीं रहेगा. विधेयक पर राजेश कुमार, ललित कुमार यादव, अजीत शर्मा, समीर कुमार महासेठ ने संशोधन प्रस्ताव लाया जो बहुमत के आधार पर खारिज हो गया. 


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