(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
सदर अस्पताल में मिली शराब की बोतलें, विपक्ष का तंज- बिहार में शराब पीना अपराध नहीं, बेचना अपराध है
कांग्रेस विधायक विश्वनाथ राम ने कहा कि शराब बंदी मामले में नीतीश कुमार फेल है. शराब की होम डिलीवरी होती है. शराबबंदी से आर्थिक दृष्टिकोण से भी नुकसान है
बक्सर: सुशासन की सरकार और केंद्रीय स्वास्थ्य राज्य मंत्री के संसदीय क्षेत्र बक्सर सदर अस्पताल में शराबबंदी का एक नमूना देखने को मिला.जहां सदर अस्पताल में मिली शराब की कई खाली बोतलें. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के शराबबंदी कानून को अंगुठा दिखाते हुए बक्सर सदर अस्पताल में चल रहे शराब की खेल में तब नया मोड़ आया जब सिविलसर्जन के आवास के पीछे शराब की बोतलें मिली.इस घटना के बाद अस्पताल प्रशासन हरकत में आई और बोतलों को ठिकाने लगा दिया गया.
शराब की बोतलों के बरामदगी मामले पर प्रभारी सिविल सर्जन नरेश कुमार ने कहा कि यह एक शर्मनाक घटना है. इस मामले पर अस्पताल प्रसासन के द्वारा मामले की जांच का आदेश दे दिया गया है,चिन्हित कर दोषियों पर करवाई की जाएगी.
इस घटना के बाद बक्सर में सियासत गर्म हो गई है और विपक्ष भला ऐसे मौके पर सरकार को आड़े हाथों लेते हुए निशाना साधना शुरु कर दिया.कांग्रेस विधायक विश्वनाथ राम ने कहा कि नीतीश सरकार की शराब बंदी को ठेंगा दिखाया जा रहा है जहां अस्पताल में गरीब मजबूर लोगों का इलाज होता है वहां इस तरह के कार्य नहीं होने चाहिए.
जिलाधिकारी एवं पुलिस कप्तान को इस मामले में तत्परता से विभागीय स्तर से जांच करना चाहिए.विधायक ने कहा कि शराबबंदी कहीं दिखाई नहीं देती है नीतीश कुमार इस मामले में फेल है. शराब की होम डिलीवरी होती है. शराबबंदी से आर्थिक दृष्टिकोण से भी नुकसान है तथा ज्यादा गरीब लोग परेशान हैं.
पुलिस आपराधिक घटनाओं के पीछे ना जाकर शराब के पीछे जाती है. बिहार में सबसे ज्यादा शराब के मामले में गरीब लोग जेल गए हैं क्योंकि उन्हें लत लग चुकी है. विधायक विश्वनाथ राम ने कहा कि बिहार में शराब को चालू कर देना चाहिए शराब पीना कहीं नहीं लिखा है कि अपराध है, जो शराब भेजते हैं उन्हें पकड़ना चाहिए.
वहीं राजद जिलाध्यक्ष शेषनाथ यादव ने कहा की शराबबंदी महज एक दिखावा भर है। अगर जांच की जाय तो शराबंदी की पोल उन्ही के अधिकारी ही खोल देंगे और ये केवल दिखावा मात्र है. जिले में शराब खुलेआम पिया जा रहा है और बिक भी रहा है. बहरहाल इस घटना के बाद से अब सवाल खड़ा हो रहा है कि जिनके कंधे पर मुख्यमंत्री को नाज है, शराब सप्ताह के दिन अधिकारी शराब को लेकर कसमें खाया करते हैं अगर वही अधिकारी या डॉक्टर शराबबंदी को तार-तार कर रहे हैं तो यह कहना गलत नहीं होगा की बिहार में शराबबंदी फ्लॉप है.