पटना: बिहार में शराब बंदी कानून लागू है. कानून के तहत शराब पीना, पिलाना, बेचना, रखना या सप्लाई करना जुर्म की श्रेणी में आता है. ऐसा करने वालों को शराबबंदी कानून के तहत दंडित करने का प्रावधान है. लेकिन जिन कंधों पर दंड देने की जिम्मेदारी है, वही दोषियों को बचाने में लगे हुए हैं. ताजा मामला बिहार की राजधानी पटना के है, जहां पुलिस पर कानूनी प्रक्रिया में हेर-फेर कर शराब माफियाओं को बचाने का आरोप लगा है.
दो तस्करों को किया था गिरफ्तार
दरअसल, 15 अप्रैल, 2021 को मद्य निषेध विभाग की टीम ने गरदनीबाग थाना क्षेत्र निवासी विक्की कुमार और युवराज सिंह को 80 लीटर देसी शराब के साथ पकड़ा था. उसके बाद टीम ने पूरे मामले में बरामद शराब का सीजर लिस्ट बनाया था. मामले में छापेमारी टीम के पुलिस अधिकारी गवाह बने थे.
इधर, इन सारी प्रक्रियाओं के बाद खेल शुरू हुआ. विभाग के अधिकारियों ने विक्की कुमार को तो जेल भेज दिया, लेकिन दूसरे शराब तस्कर युवराज सिंह को एक लाख रुपये लेकर छोड़ दिया गया. यही नहीं विभाग की टीम ने एफआईआर तक को बदल दिया. साथ ही 60 दिन के बाद भी कोर्ट में चार्जशीट नहीं सौंपी गई. इस वजह से दूसरे शराब तस्कर को भी जमानत मिल गई.
शोकॉज नोटिस जारी किया
अब उत्पाद विभाग की मनमानी का मामला सामने आने के बाद विभाग में हड़कंप मच गया है. इस मामले में तत्काल सहायक आयुक्त मद्य निषेध विभाग ने जांच का आदेश दिया है और छापेमारी करने वाली पूरी टीम को शोकॉज नोटिस भी जारी किया गया है.
सहायक उत्पाद आयुक्त ने कही ये बात
इस मामले में पटना के सहायक उत्पाद आयुक्त ने कहा, " अभी ये सूचना प्राप्त हुई है. मामले की जांच कराई जा रही है. जांच पूरी होने के बाद कार्रवाई की जाएगी. कोई भी शख्स अगर जुर्म करते हुए पकड़ा जाता है, उसे छोड़ने को प्रक्रिया कोर्ट द्वारा की जाती है. पुलिस को इस संबंध में कोई अधिकार नहीं है. ऐसे में इस मामले में जो भी दोषी होंगे उनपर सख्त कार्रवाई होगी. अभी जांच चल रही है. हर बिंदु पर जांच की जा रही है. बिना जांच के कुछ भी स्पष्ट कह पाना संभव नहीं है. लेकिन ये तय है कि दोषी बच नहीं पाएंगे."
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