Bihar Politics: 18 साल पहले रामविलास पासवान को मिला कार्यालय उनके भाई के हाथ से निकला, पहले टिकट से बेदखल अब...
LJP office: पटना में एलजेपी के ऑफिस का आवंटन रद्द हो गया है, रामविलास पासवान की मृत्यू के बाद उनके छोटे भाई पशुपति पारस इसको संचालित कर रहे थे.
LJP Office Registration Cancelled: बिहार भवन निर्माण विभाग ने पटना में एलजेपी के ऑफिस का आवंटन शुक्रवार (14 जून) को रद्द कर दिया है. दरअसल 2019 से भवन का रिन्यूअल नहीं हुआ था. इस ऑफिस का इस्तेमाल पशुपति पारस गुट यानी राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी कर रही थी. लगभग 18 साल पहले रामविलास पासवान की एलजेपी को यह कार्यालय उपयोग के लिए दिया गया था, जो आवास संख्या- एक व्हीलर रोड पटना में आवंटित था. रामविलास पासवान की मृत्यू के बाद उनके छोटे भाई पशुपति पारस इसको संचालित कर रहे थे.
आवंटन रद्द करने की अधिसूचना जारी
भवन निर्माण विभाग ने कार्यालय के आवंटन को रद्द करने की अधिसूचना भी जारी कर दी गई है. राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और पूर्व केंद्रीय मंत्री पशुपति पारस को अब अपनी पार्टी के कामकाज के संचालन के लिए कोई नया कार्यालय देखना होगा. रामविलास पासवान की मृत्यू के बाद जब लोजपा चाचा और भतीजे में बंट गई तब कार्यालय पशुपति पारस के अंडर में चला गया. पशुपति पारस ने भतीजे से अलग होकर पांच सांसदों के साथ अपनी अलग पार्टी रालोजपा बना ली थी. हालांकि कार्यालय का आंवटन लोजपा के नाम पर ही था, जो आज पशुपति पारस के हाथ से निकल चुका है.
क्या है पार्टियों को भवन आवंटित करने का प्रावधान?
दरअसल प्रावधान है कि राजनीतिक पार्टियों को कामकाज के लिए सरकार की ओर से कार्यालय आवंटित किया जाएगा. ये आवंटन 2 साल के लिए किया जाता है. हर दो साल पर अवधि समाप्त होती है और इसका रिन्यूअल कराना होता है, लेकिन लोजपा कार्यालय भवन का रिन्यूअल 2019 के बाद नहीं हुआ था. पांच साल से यह ऑफिस ऐसे ही संचालित की जा रही थी, जिस पर अब सरकार ने संज्ञान लिया है. अब कार्यालय जाने के बाद पशुपति पारस की मुश्किलें भी बढ़ गईं हैं. उन्हें अपनी पार्टी के लिए दूसरा कार्यालय देखना पड़ सकता है.
आपको बता दें कि पशुपति पारस पहले से ही लोकसभा चुनाव में टिकट ना मिलने से परेशान थे. पांच सांसद के होते हुए भी बीजेपी ने उनको एक भी टिकट देना मुनासिब नहीं समझा. टिकट ना मिलने से पशुपति पारस पहले ही आहत थे और उन्होंने अपनी नाराजगी भी जताई थी. हालांकि उन्होंने एनडीए का साथ नहीं छोड़ा है आज भी वो एनडीए का ही हिस्सा हैं.
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