लॉकडाउन में आर्थिक तंगी से जूझ रहे खरबूज की खेती करने वाले किसान, दो रुपये किलो बेचने को हैं मजबूर
किसान मांझी निषाद बताते हैं कि खरीदार नहीं होने की वजह से लोकल मार्केट में जबरदस्ती फलों को बेचना पड़ रहा है. ऐसा नहीं किया तो फल खराब हो जाएंगे. उनकी मानें तो उन्होंने 4 एकड़ में खरबूजे की खेती की है और अब तक लागत भी वापस नहीं आ पाया है.
कैमूर: बिहार में लागू लॉकडाउन का विपरीत असर अब किसानों पर दिखने लगा है. प्रदेश के कैमूर जिले में खरबूज की खेती करने वाले किसान आर्थिक तंगी की मार झेल रहे हैं. स्थिति ये है कि कड़ी मेहनत उगाए खरबूज के फलों को किसानों दो रुपये किलो बेचने को मजबूर हैं. इसके बावजूद उन्हें खरीदने वाला कोई नहीं हैं. लॉकडाउन से पहले यह खरबूज बिहार के अलावा दूसरे राज्यों में भी जाते थे. लेकिन लॉकडाउन की वजह से व्यवसायी खरबूज खरीदने के लिए नहीं आ रहे हैं, जिससे किसानों की कमर टूट गई है.
सरकार से की मुआवजे की मांग
लॉकडाउन से पहले 10 से 12 रुपये प्रति किलो बिकने वाला खरबूज आज खेतों में सड़ रहे हैं. ऐसे में खरबूज की खेती करने वाले किसान सरकार से मदद की गुहार लगा रहे हैं. किसान बुटन निषाद बताते हैं कि खरबूज अभी दो से ढाई रुपए प्रति किलो के हिसाब से भी खरीदने वाला कोई नहीं है. लॉकडाउन लगने के कारण बाहर के व्यवसायी नहीं आ पा रहे हैं. इस वजह से काफी नुकसान हो रहा है, ऐसे में अपील है कि सरकार किसानों की मदद करे.
किसान मांझी निषाद बताते हैं कि खरीदार नहीं होने की वजह से लोकल मार्केट में जबरदस्ती फलों को बेचना पड़ रहा है. ऐसा नहीं किया तो फल खराब हो जाएंगे. उनकी मानें तो उन्होंने 4 एकड़ में खरबूजे की खेती की है. डेढ़ लाख रुपए खर्च किया है. अभी तक मुनाफा क्या मूल भी वापस नहीं आ पाया है. ऐसे में किसान सरकार की ओर टकटकी लगाए देख रहे हैं. सरकार मुआवजा देगी तो उन्हें कुछ राहत मिल पाएगा.
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