मधुबनी: मिथिलांचल का प्रसिद्ध 15 दिवसीय परिक्रमा यात्रा मंगलवार (12 मार्च) को हरलाखी प्रखंड के गिरिजा स्थान फुलहर पहुंची. डोला आते ही फुलहर पंचायत के श्रद्धालुओं ने मिथिला बिहारी और किशोरी जी के डोले का पुष्प वर्षा से स्वागत किया. दोपहर करीब तीन बजे यात्रा फुलहर पहुंची. दर्शन के लिए भक्तों की भीड़ उमड़ पड़ी. पुष्प वाटिका में फूललोड़ी की रस्म अदा की गई. इसके बाद उस फूल से गिरिजा माई की पूजा-अर्चना की गई.
क्या है मान्यता?
माना जाता है कि माता सीता रोज फूल तोड़ने इसी वाटिका में आया करती थीं. इसके बाद मां गिरिजा की पूजा करती थीं. भगवान राम और माता सीता का इसी वाटिका में पहला मिलन हुआ था. वाटिका में आज भी भगवान का धनुष इस बात का साक्षी बना हुआ है. इसी परंपरा को बरकरार रखने के लिए इस रस्म को पूरा किया जाता है.
फुलहर ग्राम वासियों की ओर से परिक्रमा के यात्रियों के लिए भंडारे और ठहरने की समुचित व्यवस्था की गई थी. परिक्रमा महामहोत्सव में हजारों की संख्या में श्रद्धालुओं ने भाग लिया. रात भर भजन-कीर्तन, रामलीला और झांकी समेत अन्य धार्मिक कार्यक्रम होता रहा.
कब और कहां होगी परिक्रमा यात्रा?
12 मार्च को परिक्रमा यात्रा गिरिजा स्थान पहुंची. 13 मार्च को मटिहानी (नेपाल), 14 मार्च को जलेश्वर (नेपाल), 15 मार्च को मड़ई (नेपाल), 16 मार्च को ध्रुव कुंड (नेपाल), 17 मार्च को कंचनबन (नेपाल), 18 मार्च को पर्वता (नेपाल), 19 मार्च को धनुषा धाम (नेपाल), 20 मार्च को सतोषर स्थान (नेपाल), 21 मार्च को ओरह (नेपाल), 22 मार्च को करुणा (भारत), 23 मार्च को बिशौल (भारत), 24 मार्च को जनकपुरधाम (नेपाल) अंतर ग्रह परिक्रमा और 25 मार्च को जनकपुर में अंतर गृह रात्रि विश्राम के बाद सभी परिक्रमा यात्रा समाप्त होगी. परिक्रमा मेला को देखने जुटी भारी भीड़ जुटी रही. इसको लेकर पर्याप्त पुलिस बल की तैनाती की गई थी.
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