Chhath Fastival 2024: बिहार में छठ करने ऑस्ट्रेलिया से पहुंची ममता, कहा- हर साल वतन खींच लाती है भारतीय संस्कृति
Chhath Mahaparv: छठ पर्व में शिरकत करने सात समंदर पार से भी लोग पहुंचते हैं. ऐसी ही एक श्रद्धालु हैं ममता, जिन्हें लोक आस्था के इस त्योहार ने अपनी संस्कृति को भूलने नहीं दिया है.
भारत के लोगों की सांस्कृतिक जड़ें इतनी मजबूत हैं कि सात समुंदर पार से भी लोगों को छठ पर अपने घर बुला लेती हैं. लोक आस्था का महान पर्व छठ प्राकृतिक के साथ-साथ सांस्कृतिक मूल्यों को सहेजने और संवारने का भी त्योहार है. इस त्योहार की जहानाबाद शहर में पीली कोठी के समीप अपने मायके में ऑस्ट्रेलिया से ममता गुप्ता हर वर्ष छठ के मौके पर आती हैं.
पति ऑस्ट्रेलिया में इंजीनियर के पद पर कार्यरत
दरअसल शहर के पीली कोठी के समीप रहने वाले स्व द्वारका प्रसाद की बेटी ममता गुप्ता की शादी पश्चिम बंगाल के वर्धमान में विनोद गुप्ता के साथ हुई थी. शादी के कुछ ही समय बाद विनोद गुप्ता ऑस्ट्रेलिया में इंजीनियर के पद पर कार्यरत हो गए. उसके बाद पूरा परिवार वहां जाकर रहने लगा. ऑस्ट्रेलिया में रहते हुए दो दशक से अधिक समय बीत गए. द्वारका प्रसाद तो अब इस दुनिया में नहीं रहे, लेकिन उनके अन्य परिवार जहानाबाद में हैं. इस बार ममता की भाभी जूही गुप्ता और मामा त्रिभुवन प्रसाद जो पीएमसीएच में डॉक्टर हैं, छठ कर रहे हैं.
इधर ममता के पति विनोद गुप्ता और दोनों बेटी श्रुति और सृष्टि ऑस्ट्रेलिया में ही इंजीनियर के पद पर कार्यरत हैं. ऐसे में पूरा आशियाना ममता का ऑस्ट्रेलिया के पर्थ में लंबे समय से है. अन्य मौके पर अपने वतन आने का समय तो नहीं मिलता है, लेकिन जब लोक आस्था के महापर्व छठ की बात आती है तो लाखों खर्च कर वह अपने मायके आने पर मजबूर हो जाती हैं.
ममता गुप्ता बताती है कि भाभी छठ कर रही हैं, यह जानकारी मिली तो इस पर्व में शामिल होने के लिए आने की तैयारी में जुट गए. हालांकि पति और बेटी व्यस्तता के कारण नहीं आ पाई, लेकिन मैं खुद आ गई हूं. इस त्योहार को संपन्न हो जाने के बाद वापस ऑस्ट्रेलिया चली जाऊंगी. वह बताती है कि विदेश में रहने के बावजूद भी महापर्व छठ हम लोगों को अपनी संस्कृति से जोड़े रख रही है. छठ को लेकर हमेशा आस्था और उल्लास बना रहता है.
हवाई जहाज से 18 घंटे का सफर तय कर पहुंची
लोक आस्था के सामने पैसा का कोई मूल्य नही है. छठ की आस्था सात समुंदर पार से भी खींच कर ले आती है. दरअसल ऑस्ट्रेलिया से छठ में शामिल होने के लिए आने में लाखों रुपये खर्च हो जाते हैं. ममता गुप्ता बताती हैं कि पैसा तो आता जाता रहेगा, लेकिन छठ में शामिल होने से जो भगवान भास्कर का आशीर्वाद प्राप्त होता है. वह अपने आप में अमूल्य है. हवाई जहाज से 18 घंटे का सफर कर इस अनुष्ठान में शामिल होने के लिए आना इस पर्व की महत्ता को प्रदर्शित करता है. ममता कहती हैं कि छठ पूजा का अब ग्लोबल रूप हो गया है, परंतु अपने घर में पूजा का अपना ही महत्व है.
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