पटना: बिहार में कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर बड़ी तेजी से पांव पसार रही है. रोजाना बढ़ रही संक्रमितों की संख्या लोगों को डरा रही है. ऐसे में राज्य में लगातार सम्पूर्ण लॉकडाउन की मांग उठ रही है. विपक्ष के साथ ही सत्ताधारी दल के नेता भी लॉकडाउन के समर्थन में बोल रहे हैं. हालांकि, पीएम मोदी के अपील अनुसार मुख्यमंत्री  नीतीश कुमार लॉकडाउन लगाने के पक्ष में नहीं है.


बिहार सरकार करे ये काम


राज्य में लॉकडाउन की मांग के बीच पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने वैसे सभी नेताओं पर तंज कसा है, जो लॉकडाउन की तरफदारी कर रहे हैं. उन्होंने मंगलवार को ट्वीट कर कहा, " मैं लॉकडाउन का समर्थन करूंगा यदि तीन महीना तक सबका बिजली बिल, पानी बिल, स्कूल/कॉलेजों की फीस माफ कर दी जाए. किराएदारों का किराया, बैंक लोन ईएमआई माफ कर दिया जाए.


 



मांझी ने कहा, " किसी को शौक नहीं होता जान जोखिम में डालकर बाहर जाना पर 'रोटी' और 'कर्ज' जो ना कराए. ये बात एसी वाले लोग नहीं समझेंगे."


वहीं, पार्टी प्रवक्ता दानिश रिजवान ने पार्टी प्रमुख की बात को दोहराते हुए कहा कि जो लोग एसी कमरों में बैठकर लॉकडाउन करने का सुझाव दे रहे हैं, वो पहले ये बताएं कि इस दौरान लोगों का पेट कैसे भरेगा? उनकी जरूरतें कैसे पूरी होंगी? 


इन नेताओं ने की लॉकडाउन की मांग


मालूम हो कि जब से बिहार में नाइट कर्फ्यू का एलान किया गया है, तब से एक नया विवाद शुरू हो गया. विपक्ष ही नहीं सत्ताधारी दल के नेता भी सरकार के इस फैसले पर सवाल उठा रहे हैं. बिहार बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल ने फेसबुक पर पोस्ट लिखकर अपने ही सरकार से फैसले को गलत बताया था. इसके अलावा मंत्री रामसूरत राय और वीआईपी सुप्रीमो मुकेश सहनी ने भी लॉकडाउन की मांग की थी.


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