बिहार: देवघाट पर सामूहिक पिंडदान, कोरोना से मरने वालों की आत्मा की शांति के लिए किया गया तर्पण
धार्मिक ग्रंथों में ऐसा वर्णन है कि गया में पिंडदान, तर्पण और श्राद्धकर्म करने से पितरों के उद्धार के साथ-साथ 30 कुलों का भी उद्धार होता है. यही कारण है कि गया में हर वर्ष पितृपक्ष मेला के अवसर पर देश-विदेश से लाखों लोग पिंडदान और श्राद्धकर्म करने आते हैं.
गया: बिहार के गया जिले में हर साल लाखों सनातन धर्मावलंबी देश-विदेश से पिंडदान करने के लिए आते हैं. पितरों के उद्धार के लिए लोग गया में पिंडदान, श्राद्ध कर्म और तर्पण आदि करते हैं. इन सभी कार्यों को गयापाल पंडा पूरा कराते हैं. लेकिन कोरोना काल में लोग पिंडदान के लिए नहीं पहुंच रहे. ऐसे में गुरुवार को शतशिव शिवानंद फाउंडेशन के बैनर तले पंडा समाज द्वारा सामूहिक पिंडदान का देवघाट पर आयोजन किया गया.
रिश्तेदारों ने ठीक से दाह संस्कार नहीं किया
इस दौरान पूरे देश में कोरोना से मारे गए लोगों के आत्मा की शांति के लिए सामूहिक पिंडदान और कर्मकांड किया गया. सामूहिक पिंडदान के आयोजक मनोहर लाल चौरसिया ने बताया कि पिछले साल और इस साल कोरोना के कारण बड़ी संख्या में लोगों की मौत हुई है. वहीं, कई लोगों के परिजनों और रिश्तेदारों द्वारा ठीक से दाह संस्कार नहीं किया गया है. ऐसे में पूरे देश मे कोरोना से मारे गए लोगों की आत्मा की शांति के लिए सामूहिक पिंडदान किया गया है.
उन्होंने कहा कि कोरोना काल में कई लोगों द्वारा अपने परिवार के सदस्यों के मरने के बाद उनका क्रिया-कर्म नहीं किया गया है. ऐसे में उन सभी परिवारों के नाम पर पिंडदान का आयोजन किया गया है. मालूम हो कि धार्मिक ग्रंथों में ऐसा वर्णन है कि गया में पिंडदान, तर्पण और श्राद्धकर्म करने से पितरों के उद्धार के साथ-साथ 30 कुलों का भी उद्धार होता है. यही कारण है कि गया में हर वर्ष पितृपक्ष मेला के अवसर पर देश-विदेश से लाखों लोग पिंडदान और श्राद्धकर्म के लिए आते हैं.
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