पटना: बिहार में बेकाबू हो रहे कोरोना के बीच पटना स्थित एनएमसीएच के जूनियर डॉक्टर हड़ताल पर चले गए हैं. कोरोना मरीजों के परिजनों की ओर से लगातार हो रही मारपीट और बदसलूकी से नाराज होकर डॉक्टरों ने कार्य बहिष्कार करने का फैसला लिया है. साथ ही सरकार और विभाग के सामने काम पर लौटने की पांच शर्तें रखीं है. इस संबंध में एनएमसीएच के जूनियर डॉक्टर एसोसिएशन के मेंबर डॉक्टर रामचंद्र ने बताया कि मांग पूरी होने तक जूनियर डॉक्टर काम का बहिष्कार करेंगे.
150 से अधिक बेड संभालने की नहीं है क्षमता
उन्होंने कहा, " संसाधनों की कमी और मरीजों के परिजनों का हंगामा एक दूसरे से संबंधित हैं. संसाधनों और मैन पावर की कमी की वजह से इलाज में दिक्कत आती है, मरीजों की मौत होती है, जिसके बाद मृतक के परिजन डॉक्टरों के साथ बदसलूकी करते हैं. ऐसे में जब तक कमियों को पूरा नहीं किया जाएगा, ऐसी घटनाएं होती रहेंगी. मैन पावर की कमी और डॉक्टरों में तेजी फैल रहे संक्रमण की स्थिति में हम 150 से अधिक बेड संभालने की क्षमता नहीं रखते हैं." ऐसे में हमारी मांग है -
1. एमबीबीएस एग्जाम पोस्टपोन होने की वजह से 150 इन्टर्नस नहीं आए हैं, जिससे मैनपावर की कमी हो गई है, ऐसे में 150 नॉन एकेडमिक जेआर को एनएमसीएच में तैनात किया जाए. साथ ही पीएमसीएच के सीनियर रेजिडेंट और अस्सिटेंट प्रोफेसर, मेडिसिन और एनेस्थीसिया एक्सपर्ट्स को एनएमसीएच में प्रतिनियुक्त किया जाए.
2. दूसरे सरकारी अस्पतालों में कोरोना मरीजों के लिए बेड बढ़ाई जाए.
3. वार्ड के अंदर मरीजों के अटेंडेंट्स की एंट्री पर प्रतिबंध लगाया जाए. साथ ही अतिरिक्त वार्ड बॉय नियुक्त किए जाए, ताकि मरीजों का ख्याल रखा जा सके. नर्सेज की भी संख्या बढ़ाई जाए.
4. अस्पताल परिसर के अंदर पैरामिलिट्री फ़ोर्स की प्रतिनियुक्त की जाए.
5. बुधवार की सुबह जिन लोगों ने डॉक्टरों के साथ बदसलूकी की उनके खिलाफ़ कड़ी कार्रवाई की जाए.
डॉक्टर रामचंद्र ने कहा, " विभागीय अधिकारी और अगले मोर्चे पर काम कर रहे लोगों के बीच एक बड़ा कम्युनिकेशन गैप है. ऐसे में आवश्यकता है कि वे लगातार हमसे बात करें. कमियों के बारे में जानकारी लें और उसे प्राथमिकता के स्तर पर दूर करें. वे किसी हादसे का इंतजार ना करें. "
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