Bihar Politics: 'महागठबंधन सरकार में हुई जातीय गणना', अब अशोक चौधरी ने दिया तेजस्वी यादव को जवाब
Ashok Chaudhary: मंत्री अशोक चौधरी ने तेजस्वी यादव के बयान पर पलटवार करते हुए कहा कि जब जातीय गणना की बात हो रही थी, उस वक्त बिहार में एनडीए की सरकार थी.
Ashok Chaudhary On Tejashwi Yadav: बिहार में विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव ने मंगलवार (26 नवंबर) को आरक्षण का दायरा बढ़ाने को लेकर नीतीश सरकार को घेरा था. तेजस्वी यादव के बयान पर विजय सिन्हा के बाद अब प्रदेश के मंत्री अशोक चौधरी ने भी पलटवार करने में देरी नहीं की. अशोक चौधरी ने कहा कि नीतीश सरकार ने आरक्षण का दायरा बढ़ाकर कानून बनाया.
अशोक चौधरी ने तेजस्वी पर क्या कहा?
बिहार सरकार के मंत्री अशोक चौधरी ने तेजस्वी यादव के बयान पर पलटवार करते हुए कहा कि जब जातीय गणना की बात हो रही थी, उस वक्त बिहार में एनडीए की सरकार थी, तेजस्वी यादव उस वक्त सरकार में नहीं थे, जब नीतीश कुमार ने सर्वदलीय बैठक बुलाई थी. उन्होंने सवाल करते हुए कहा कि क्या उस वक्त तेजस्वी यादव सरकार के अंग थे?
उन्होंने कहा कि तेजस्वी यादव मंगलवार को विधानसभा में इस मसले को लेकर बयान दे रहे थे कि हमारे निर्देश पर सरकार ने जातीय जनगणना कराई, जबकि सच्चाई यह है कि तेजस्वी यादव सरकार में नहीं थे. सरकार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार थे, उनके निर्देश पर जातीय गणना का काम हुआ.
पूरे देश में बिहार ने जातीय गणना करके मिसाल पेश की है. जातीय गणना के आधार पर बिहार में आरक्षण के दायरे को भी बढ़ाया गया, लेकिन समाज में कुछ ऐसे लोग हैं, जो सरकार के इस फैसले काे हाईकोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक चुनौती दिए हैं. अब मामला न्यायालय के अधीन है. उन्होंने कहा कि आरक्षण की सीमा बढ़ाने के पक्ष में सरकार सुप्रीम कोर्ट गई है. राज्य में जिसकी जितनी आबादी, उसकी उतनी हिस्सेदारी नीतीश कुमार की सरकार ने दी है.
मंत्री विजय कुमार चौधरी ने भी दिया जवाब
बिहार सरकार के संसदीय कार्य मंत्री विजय कुमार चौधरी ने कहा कि आरक्षण के दायरे को बढ़ाकर हमारी सरकार ने बिहार विधानमंडल के दोनों सदनों से पास कर इसे कानूनी रूप दे दिया. तेजस्वी यादव की सहमति से ही आरक्षण के कोटे को बढ़ाया गया, लेकिन कानूनी अड़चन की वजह से न्यायालय ने इस पूरी प्रक्रिया को रोक दिया. सरकार अपना पक्ष रखने के लिए न्यायालय गई है.
इससे पहले विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव ने आरक्षण को लेकर बिहार सरकार से ठोस कदम उठाने और इसे 85 प्रतिशत तक बढ़ाने की मांग की थी. इसके लिए विशेष कमेटी बनाने और केंद्र सरकार से इसे नौवीं अनुसूची में शामिल करने की मांग की.
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