बिहार: स्वास्थ्य व्यवस्था की खुली पोल, सुपौल में कड़ाके की ठंड में फर्श पर मरीज
सुपौल जिले के बड़े अनुमंडल की गिनती में पहले पायदान आने वाले त्रिवेणीगंज अनुमंडलीय अस्पताल में कोविड 19 के गाइड लाइनों की खुलेआम माखौल उड़ाया जा रहा है जहां मरीज तो दूर ड्यूटी पर तैनात डॉक्टर भी मास्क को जरूरी नहीं मानते हैं.
सुपौल: वैश्विक महामारी कोरोना अभी ख़त्म भी नहीं हुयी है लेकिन सरकारी अस्पतालों की लचर व्यवस्था की पोल खुलनी शुरु हो गयी है. जिले के बड़े अनुमंडल की गिनती में पहले पायदान आने वाले त्रिवेणीगंज अनुमंडलीय अस्पताल में कोविड 19 के गाइड लाइनों की खुलेआम माखौल उड़ाया जा रहा है जहां मरीज तो दूर ड्यूटी पर तैनात डॉक्टर भी मास्क को जरूरी नहीं मानते हैं. सबसे बड़ी बात ये है कि परिवार नियोजन के ऑपरेशन के बाद मरीजों को फर्श पर लेटाया जा रहा है.
मरीजों को इस कड़ाके की ठंड में बिना मास्क औऱ सोशल डिस्टेंस के जमीन पर हीं लेटाया जा रहा है मरीजों के साथ आए परिजनों की माने तो ऑपरेशन के बाद मरीज को जगह नहीं मिलने से जमीन पर ही लिटाया गया हैं इस दौरान अस्पताल के द्वारा किसी भी प्रकार की कोई सुविधा मरीजों को नहीं दी जाती है.
अस्पताल की पोल खोलती व्यवस्था,जहां डॉक्टर भी कोरोना का उड़ाते हैं माखौल
इस मामले में जब अस्पताल के इमरजेंसी ड्यूटी में तैनात डॉक्टर से इस लचर व्यवस्था पर सवाल किया गया तो उन्होंने अपना पल्ला झाड़ते हुए कहा कि ये बात आप प्रभारी से पूछते न कि हमसे फ़िर भी हमसे पूछ रहे हैं तो आपको बता दें कि अस्पताल में व्यवस्था की कमी रहने के कारण इतनी भीड़ है, बेड पर जगह नहीं रहने के कारण फर्श पर लेटाया जा रहा है.
अस्पताल की प्रभारी मैडम ऑपरेशन करने के बाद अपने आवास पर चली गई है, जहाँ तक कोविड 19 के गाइड लाइन का सवाल है तो लोगों को समझाने के बाद भी लोग मास्क नहीं पहनते हैं, लेकिन इन सब के बीच हद तो तब हो गई जब लोगों को मास्क नहीं पहनने पर कोशने वाले डॉक्टर खुद अस्पताल में इतनी भीड़ रहने के बाबजूद बिना मास्क के देखे गए. मरीजों ओर उनके परिजनों के कारण अस्पताल में बढ़ी भीड़ के बीच बिना मास्क पहने इमरजेंसी ड्यूटी पर तैनात डॉक्टर उमेश कुमार मंडल यहीं नहीं रुके उन्होंने मास्क पहनना भी जरूरी नहीं बताया. अस्पताल के
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार आज त्रिवेणीगंज अनुमंडलीय अस्पताल में 65 महिलाओं का परिवार नियोजन का ऑपरेशन हुआ है ऑपरेशन करने के बाद सभी को बिना सुविधा के जानवरों की तरह ठूंस कर जमीन पर लेटा दिया गया.अस्पताल परिसर हो या मीटिंग हॉल सभी जगह जमीन पर मरीज इस कड़ाके की ठंड में लेटने को मजबूर हैं अस्पताल की यह लचर व्यवस्था औऱ डॉक्टरों के द्वारा कोविड 19 के गाइड लाइनों को हवा हवाई बताना सरकारी तंत्र के खोखले दावे की हकीकत बयां करती है.