बिहार: दो करोड़ लेने के बाद भी MLA और MLC के पास बचा है इतना फंड, CM नीतीश के मंत्री ने दी जानकारी
मंत्री विजेंद्र प्रसाद ने बताया कि मुख्यमंत्री क्षेत्र विकास योजना और विधायक ऐच्छिक कोष योजना से अलग-अलग है. विधानमंडल के सदस्य इस योजना के तहत किए जाने वाले आवश्यक कामों के बारे में सरकार को मात्र अपनी अनुशंसा प्रेषित कर सकते हैं.
पटना: कोरोना काल में राज्य सरकार की ओर से विधानमंडल के सभी सदस्यों के मुख्यमंत्री क्षेत्र विकास योजना निधि से दो-दो करोड़ रुपए की राशि ली गई है. विधायकों और विधान पार्षदों से ली गई राशि को कोरोना उन्मूलन कोष में हस्तांतरित किया गया है, ताकि सरकार प्रभावी रूप से कोरोना से उत्पन्न स्थिति से लड़ सके. उसके सामने कोई आर्थिक समस्या उत्पन्न ना हो. लेकिन सरकार के इस फैसले पर नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने सवाल उठाया था.
फंड ले लेने का लगाया था आरोप
तेजस्वी यादव ने सोमवार को फेसबुक लाइव आकर ये आरोप लगाया था कि सरकार ने विधायकों के हाथ-पैर काट दिए हैं. उनका सारा फंड ले लिया है. ऐसे में वो क्षेत्र की जनता की सेवा कैसे करेंगे. सरकार ने पैसे लिए उससे दिक्कत नहीं है. जो पैसे लिए हैं, उतना उनके क्षेत्र में खर्च करें क्योंकि अब उनके पास फंड नहीं है कि खर्च कर सकें. इस बाबत उन्होंने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को पत्र भी लिखा था.
अब उनके पत्र का सीएम नीतीश कुमार के मंत्री विजेंद्र प्रसाद यादव ने जवाब दिया है. उन्होंने कहा, " मुख्यमंत्री क्षेत्र विकास योजना निधि से दो करोड़ रुपये प्रति विधानमंडल सदस्य की दर से समंजित कर कोरोना उन्मूलन कोष में हस्तान्तरित करने के बाद भी एक करोड़ रुपये प्रति विधानमंडल सदस्य की राशि उपलब्ध है, जिसके अंतर्गत विधानमंडल सदस्य अपनी अनुशंसा कर सकते हैं."
सोच-समझकर लिया गया है निर्णय
मंत्री ने कहा, " इस बात को समझना होगा कि तीन करोड़ रुपये की सम्पूर्ण राशि की योजनाओं के लिए अनुशंसा करने का कोई विशेषाधिकार सदस्यों को नहीं है और इस बिन्दु पर कोई आपत्ति भी नहीं की आनी चाहिए. जब एक करोड़ रुपये की राशि से अनुशंसा करने का विकल्प सदस्यों को उपलब्ध करा ही दिया गया है, तो इस प्रसंग में किसी तरह की शिकायत करने का अवसर बिल्कुल नहीं है क्योंकि राज्य सरकार ने कोरोना की स्थिति को देखते हुए समुचित सोच-विचार कर जनहित में निर्णय लिया है.
उन्होंने बताया कि मुख्यमंत्री क्षेत्र विकास योजना और विधायक ऐच्छिक कोष योजना से अलग-अलग है. विधानमंडल के सदस्य इस योजना के तहत किए जाने वाले आवश्यक कामों के बारे में सरकार को मात्र अपनी अनुशंसा प्रेषित कर सकते हैं. विधानमंडल के सदस्यों की अनुशंसाओं पर ही सम्पूर्ण राशि का व्यय करने का प्रावधान और बाध्यता नियमों में नहीं है. इस विषय में सरकार का निर्णय ही अन्तिम होता है."
मंत्री विजेंद्र यादव ने अपने पत्र में कहा, " मुख्यमंत्री क्षेत्र विकास योजना के तहत अधिकतम एक करोड़ रुपये तक की राशि से वर्तमान वित्तीय वर्ष में विधानमंडल के सदस्य कोरीना के प्रसार की रोकथाम और चिकित्सा से संबंधित सामग्री और उपकरण के लिए भी अनुशंसा कर सकते हैं."
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