Bihar MLC By-Election: रामबली चंद्रवंशी की सदस्यता खत्म होने के बाद उपचुनाव में JDU से MLC बनना तय, आया ये नाम
MLC By-Election: आरजेडी की ओर से अभी तक उम्मीदवार के लिए कोई घोषणा नहीं की गई है. कयास लगाया जा रहा है कि आरजेडी अपना प्रत्याशी नहीं उतारेगा क्योंकि उनके पास विधायकों की संख्या कम है.
Bihar MLC By-Election 2024: पूर्व विधान पार्षद रहे आरजेडी के रामबली चंद्रवंशी की सदस्यता रद्द होने के बाद उस सीट पर अब उपचुनाव होने वाला है. इसके लिए सीएम नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) की पार्टी जनता दल यूनाइटेड ने पूर्व मंत्री रहे भगवान सिंह कुशवाहा को अपना उम्मीदवार बनाया है. खबर सामने आ रही है कि भगवान सिंह कुशवाहा का दो जुलाई को नामांकन करेंगे.
भगवान सिंह कुशवाहा दो साल के लिए एमएलसी बनेंगे. इस सीट पर 2020 में आरजेडी ने अति पिछड़ा समाज से आने वाले रामबली चंद्रवंशी को विधायक के वोटिंग से बनने वाला एमएलसी बनाया था. पार्टी गतिविधि के खिलाफ चलने के कारण उनकी सदस्यता खत्म हो गई है. इस पद का कार्यकाल 2020 जून 2026 तक है.
भगवान सिंह कुशवाहा का एमएलसी बनना तय
माना जा रहा है कि भगवान सिंह कुशवाहा निर्विरोध एमएलसी बन सकते हैं क्योंकि एक सीट पर उपचुनाव हो रहा है. निश्चित तौर पर भगवान सिंह कुशवाहा की जीत तय मानी जा रही है. हालांकि आरजेडी की ओर से अभी तक उम्मीदवार के लिए कोई घोषणा नहीं की गई है. कयास लगाया जा रहा है कि आरजेडी अपना प्रत्याशी नहीं उतारेगा क्योंकि उनके पास विधायकों की संख्या कम है.
बता दें कि जेडीयू उम्मीदवार भगवान सिंह कुशवाहा काफी पुराने राजनीतिज्ञ हैं. पहली बार वे 1990 में भाकपा माले के टिकट पर भोजपुर जिले के जगदीशपुर विधानसभा से चुनाव जीते थे. 2005 में वह जेडीयू के टिकट पर जगदीशपुर से ही चुनाव लड़े और जीत हासिल की. 2020 में जेडीयू ने उन्हें टिकट नहीं दिया तो वह नाराज होकर लोग जनशक्ति पार्टी में चले गए. 2021 में वह फिर वापस आ गए. 2005 से 2020 तक वह दो बार नीतीश मंत्रिमंडल में मंत्री भी रह चुके हैं.
आरजेडी के नेता रहे राम बाली चंद्रवंशी को लालू प्रसाद यादव ने 2020 में एमएलसी बनने मौका दिया था. लोकसभा चुनाव 2024 से पहले रामबली चंद्रवंशी जातीय गणना को लेकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार सहित लालू प्रसाद यादव और तेजस्वी यादव पर निशाना साध रहे थे. बयानबाजी कर रहे थे. उस वक्त के उप मुख्य सचेतक सुनील सिंह ने दो नवंबर 2023 को याचिका दायर की थी. ऐसे में उस समय के तत्कालीन सभापति देवेश चंद्र ठाकुर ने उनकी सदस्यता समाप्त करने के फैसले पर मुहर लगा दी थी.
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