पटनाचुनाव आयोग ने बिहार विधान परिषद के द्विवार्षिक चुनाव की अधिसूचना जारी कर दी है. चुनाव के लिए नामांकन की प्रक्रिया 4 मार्च से शुरू होगी और 11 मार्च अंतिम तारीख है. 21 मार्च को विधानसभा में सुबह 9 बजे से शाम 4 बजे तक वोटिंग होगी और 5 बजे से उसी दिन गिनती होगी. बिहार विधान परिषद की 11 सीटों के लिए द्विवार्षिक चुनाव की घोषणा की गई है. इनका कार्यकाल दो महीने में खत्म हो रहा है. 11 सदस्यों में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और बिहार विधान परिषद की नेता प्रतिपक्ष राबड़ी देवी भी शामिल हैं जिनका कार्यकाल समाप्त होने जा रहा है. हालांकि इन दोनों का चुनाव में रास्ता साफ है. समझिए पूरी खबर.


11 सदस्यों में नीतीश कुमार, राबड़ी देवी, सैयद शाहनवाज हुसैन, प्रेमचंद्र मिश्रा, संजय झा, संतोष कुमार सुमन, मंगल पांडेय, खालिद अनवर, रामचंद्र पूर्वे, रामेश्वर महतो और संजय पासवान का नाम शामिल है जिनका कार्यकाल खत्म होने वाला है. द्विवार्षिक चुनाव में इस बार की परिस्थिति बदली हुई है. इस चुनाव में 21 विधायकों पर एक सदस्य का चयन होता है. उस हिसाब एनडीए के छह और महागठबंधन से पांच सदस्यों का चयन होगा.


2015 के विधानसभा चुनाव में जेडीयू के विधायकों की संख्या ज्यादा थी इसलिए जेडीयू की ओर से चार विधान पार्षद थे, लेकिन बीजेपी के पास संख्या कम थी तो तीन ही विधान पार्षद थे. इस बार समीकरण ठीक उल्टा है. बीजेपी के पास 78 विधायक हैं जबकि जेडीयू के पास 45 विधायक हैं. ऐसे में चार सदस्य बीजेपी से और दो सदस्य जेडीयू से होने की उम्मीद है.


किसकी बचेगी कुर्सी और किसकी जाएगी?


मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के लिए यह तय माना जा रहा है कि उनकी विधान परिषद की सदस्यता बरकरार रहेगी. विधान परिषद की नेता प्रतिपक्ष राबड़ी देवी की भी सदस्यता समाप्त नहीं होगी क्योंकि आरजेडी के पास 79 विधायक हैं. हालांकि इन दोनों के अलावा 9 सदस्यों पर संशय बना हुआ है.


बीजेपी के एक वरिष्ठ नेता ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि जीतन राम मांझी के बेटे संतोष सुमन जो विधान परिषद के सदस्य हैं और मंत्री बने हुए हैं उन्हें फिर मौका नहीं दिया जा सकता है. बड़ी वजह यह है कि वह लोकसभा का चुनाव लड़ने वाले हैं. अगर एक सीट भी हम पार्टी को दी जाती है तो निश्चित तौर पर संतोष सुमन चुनाव लड़ेंगे तो उनकी सीट भी खाली रहेगी, विधान परिषद के लिए उस पर बीजेपी अपना उम्मीदवार उतारेगी.


शाहनवाज हुसैन की भी उम्मीद कम दिख रही है. शाहनवाज हुसैन हमेशा से केंद्रीय चेहरे के रूप में रहे हैं. इस बार उन्हें भागलपुर से लोकसभा का चुनाव लड़ाया जा सकता है. इसके लिए वह तैयारी भी कर रहे हैं. शाहनवाज हुसैन को पार्टी ने 2020 में बिहार में मंत्री बनने का मौका दिया था. इसके लिए सुशील मोदी की जगह पर उन्हें विधान परिषद सदस्य बनाया गया था. उनकी जगह पर नए चेहरे आ सकते हैं. मंगल पांडेय के लिए भी संशय की स्थिति बनी हुई है क्योंकि वह दो बार लगातार विधान पार्षद रह चुके हैं. उनकी भी लोकसभा चुनाव लड़ने की चर्चा बनी हुई है. संजय पासवान की जगह बीजेपी की ओर से नया चेहरा लाया जा सकता ऐसी चर्चा बनी हुई है.


राजनीतिक जानकार कैसे देख रहे हैं?


इन सबके बीच राजनीतिक जानकार अरुण कुमार पांडेय कहते हैं कि जेडीयू के संजय झा की सीट पहले ही खाली हो चुकी है और उन्हें राज्यसभा भेजा जा चुका है. जेडीयू कोटे से रामेश्वर महतो और खालिद अनवर विधान पार्षद बने हुए हैं लेकिन इस बार जेडीयू के खाते में कम सीट रहेगी, इसलिए इन दोनों का भी टिकट कटने की पूरी उम्मीद है. जेडीयू की ओर मुस्लिम का एक नया चेहरा विधान परिषद में आ सकता है.


अरुण पांडेय ने बताया कि प्रेमचंद्र मिश्रा को भी कांग्रेस फिर मौका नहीं दे सकती है. प्रेमचंद मिश्रा की जगह नए चेहरों को मौका दिया जा सकता है. रामचंद्र पूर्वे की उम्र ज्यादा हो चुकी है इसलिए आरजेडी इन्हें अब मौका नहीं देगी. उनकी जगह पर नए चेहरे आ सकते हैं. 


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