MBBS Students Returned After Violence In Bangladesh: बांग्लादेश में हुए हिंसा और विवाद भले की शांत हो गए हो, लेकिन बांगलादेश में एमबीबीएस की पढ़ाई कर रहे भारतीय छात्र में भय बना हुआ है. भय के साथ चिंता सता रही है कि एक अगस्त से एमबीबीएस की फाइनल परीक्षा होनी थी, अब क्या होगा. कैसे होगा हमारे एमबीबीएस डिग्री कोर्स प्रमाण पत्र का. ऐसे में छात्र भारत सरकार से मीडिया के माध्यम से गुहार लगा रहें कि भारत सरकार हमरा एमबीबीएस पूरा कराने में कुछ करें.  


मोतिहारी के छात्र ने सरकार से क्या कहा?


बांग्लादेश में शुरु हुए अराजक स्थिति के बीच वहां मेडिकल कॉलेज में पढ़ाई कर रहे मोतिहारी का एक छात्र वापस लौटा है. बांग्लादेश से लौटे छात्र मोतिहारी शहर के खुदा नगर के रहने वाले मो. नसीम अंसारी का पुत्र आसिफ अमान हैं, आसिफ अम्मान बांग्लादेश के शिलहट स्थित जलालाबाद रागिब राबया मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल में एमबीबीएस फाइनल इयर के छात्र हैं, यह एक प्राइवेट कॉलेज है.


मेडिकल छात्र आसिफ अमान बताते हैं कि बांग्लादेश जब जल रहा था, तब एम्बेन्सी से मदद की गुहार लगाया गया, जहां से कोई मदद नहीं मिली. फिर स्थानीय गाड़ी वाले ड्राइवर को किसी तरह ज्यादा पैसा देकर बॉडर तक पहुंचाने के लिए तैयार कर लिया. फिर एम्बेन्सी से स्काट फोर्स की गुहार लगाई गई तो कोई मदद नहीं मिली. फिर हिम्मत जुटाकर मेडिकल कॉलेज हॉस्टल से करीब 60 किलोमीटर की दूरी गाड़ी से तय किए जिस रास्ते में मिलेट्री की गहन चेकिंग कर भारतीय होने की जानकारी देने पर जाने दिया गया.


करीब भारत के साठ छात्रों के साथ बॉर्डर पहुंचे. कई घंटें बॉर्डर पर इंतजार के बाद चेकिंग कर भारतीय सीमा में आने दिया गया. जिसके बाद जान में जान आई. बांग्लादेश के हालात के बारे क्या कुछ बताएं जहां देखो आग ही आग दिखती थी. जुलाई महीने में शुरु हुआ छात्र आंदोलन 16 जुलाई से हिंसक हो गया. जिस कारण प्रधानमंत्री शेख हसीना के देश छोड़ना पड़ा और भारत में शरण लेना पड़ा.


शेख हसीना के भारत में शरण लेने के कारण वहां एंटी इंडिया सेंटिंमेंट काफी बढ़ गया है, हालांकि मेडिकल छात्र आसिफ अमान ने कहा कि पहले भी एंटी इंडिया सेंटिंमेंट था, कम था इस बार बहुत ज्यादा एंटी इंडिया सेंटिंमेंट बढ़ गया है. जान की प्रवाह किए बगैर कॉलेज हॉस्टल से बंगलादेश भारतीय बॉर्डर को चले थे, कुछ मनोबल था कि हम भारतीयों की संख्या करीब 60 थी. हमलोग को भोजन में परेशानी आने लगी तो भारतीय सभी छात्र मिलकर खुद किसी तरह ज्यादा भाड़ा देकर एक बस मैनेज किया और फिर बॉर्डर तक आए.


किन हालातों से गुजर कर छात्र पहुंचे अपने वतन 


बॉर्डर तक आने में रास्ते में सेना ने कई जगह जांच किया. बॉर्डर पर स्थिति नॉर्मल थी, लेकिन भीड़ काफी थी. पासपोर्ट देखकर इमिग्रेशन क्लियरेंस के बाद भारत में आने दिया गया. बांग्लादेश के रागिब रायबा मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्टल सिलहट (जलालाबाद) से डौकी बॉडर मेघालय पहुंचे सभी भारतीय छात्र फिर गाड़ी भाड़ा कर शिलांग होते हुए गोहाटी पहुंचे, जहां से कामख्या एक्सप्रेस पकड़ कर बिहार के हाजीपुर रेलवे स्टेशन पहुंचे फिर अपने-अपने घर पहुंचे. बांगलादेश से लौटे छात्र में चम्पारण के करीब आधा दर्जन छात्र हैं.


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