(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
Bihar News: बेटी पढ़ाओ का नारा क्या ऐसे होगा साकार? नालंदा में धूप से बचने के लिए सोलर प्लेट के नीचे परीक्षा दे रहीं छात्राएं
Nalanda Girls Student: बिहार सरकार की लाख कोशिशों के बावजूद आज भी प्रदेश में कई स्कूलों के हालात जस के तस हैं. नालंदा में ऐसा ही एक सराकरी स्कूल है, जहां पढ़ने के लिए कमरे तक नहीं हैं. पढ़ें पूरी खबर.
Nalanda News: बिहार सरकार का शिक्षा विभाग अपने स्कूलों पर लाखों रुपये खर्च करने और बच्चों को तमाम सुविधाएं उपलब्ध करने का दावा करता है, लेकिन नालंदा में शिक्षा विभाग की व्यवस्था की पोल सोमवार को उस समय खुल गई, जब एक सरकारी स्कूल की तस्वीर सामने आई है, नालंदा का यह अनोखा सरकारी स्कूल, है, जहां जान जोखिम में डालकर छात्राएं परीक्षा देती हैं. यहां 982 छात्राओं का नामांकन हैं, जबकि पढ़ाई करने के लिए सिर्फ चार ही कमरे हैं. ऐसा में छात्राओं को परीक्षा के समय किन कठिनाइयों से गुजरना पड़ता है, वो तस्वीर में देखा जा सकता है.
विद्यालय में बुनयादी सुविधाओं की है कमी
हम बात कर रहे हैं नालंदा के बालिका प्लस टू उच्च विद्यालय परवलपुर की, इस विद्यालय में 982 छात्राओं की पढ़ाई के लिए सिर्फ चार कमरे ही है, इनमें से तीन कमरे में माध्यमिक कक्षाएं चलती हैं तो एक कमरा प्लस टू की छात्राओं के लिए है. इसके अलावा एक एक कमरे में लैब और पुस्तकालय चलता है. इस समय 9वीं से 12 वीं तक की मासिक परीक्षा चल रही है. इस लिए विद्यालय में काफी संख्या में छात्राएं परीक्षा देने के लिए आई हैं, लेकिन एग्जाम देने के लिए कमरे तक नहीं हैं, जहां आराम से बैठक बच्चियां परीक्षा दे सकें.
यहां परीक्षार्थियों के बैठने की कोई व्यवस्था नहीं की गई थी. तभी तो बेंच, डेस्क, खिड़की, स्कूल के बरामदा, शौचालय के समीप जहां जगह मिल रही है छात्राएं वहीं बैठकर परीक्षा दे रहीं है. सबसे हैरान करने वाली बात यह है कि इस तपती गर्मी में छात्राएं जान जोखिम में डालकर स्कूल की छत पर धूप से बचने के लिए सोलर प्लेट के नीचे छिपकर परीक्षा दे रहीं हैं. कहा जाए तो यहां परीक्षा की कोई गोपनीयता नहीं है. इस तरह से परीक्षा देना इनकी मजबूरी भी है और जरूरत भी क्योंकि न तो बैठने के लिए जगह ही है और न ही सही से पढ़ाई हुई है. परीक्षा पास करना भी जरूरी है.
बताया जाता है कि इस स्कूल के प्रधानाध्यापक कक्ष में आधार सेंटर भी चल रहा है. माध्यमिक में 634 और प्लसटू में 348 छात्राएं नामांकित हैं. स्थिति यह है कि छात्राओं को भेड़ बकरियों की तरह पढ़ना पड़ता है. माध्यमिक की छात्राओं को पढ़ाने के लिए 8 शिक्षक हैं, इसमें भी संस्कृत, अंग्रेजी और विज्ञान के शिक्षक नहीं हैं. हद तो यह है कि प्लस टू में एक भी शिक्षक की नियुक्ति नहीं हुई है.
क्या कहते हैं प्रभारी प्रधानाध्यापक?
प्रभारी प्रधानाध्यापक जितेंद्र कुमार भास्कर ने बताया कि विभाग को कमरे और शिक्षकों के कमी की जानकारी है. इसकी जानकारी जिले के सांसद और मंत्री श्रवण कुमार को भी दी गई है. इतना ही नही गांव वालों के साथ बैठक करने के बाद विभाग को भी इसकी जानकारी दी गई. मगर अब स्कूल में बुनयादी जरूरतों को पूरा करने के लिए कोई पहल तक नहीं की गई है.
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