Bihar Politics: बिहार में महागठबंधन की सरकार एक बार फिर बन गई है, लेकिन इस बार हालात पहले से अलग हैं. इस बार नीतीश कुमार मुख्यमंत्री तो हैं लेकिन सभी दलों के साथ लेकर चलना एक टेढ़ी खीर है. मंगलवार को नीतीश कुमार ने राज्यपाल समय मांग कर इस्तीफा दे दिया और बुधवार को आठवीं बार सीएम पद की शपथ ली. इसके साथ उपमुख्यमंत्री के रूप में तेजस्वी यादव ने भी शपथ ली. दीगर है कि साल 2017 में इसी महागठबंधन में दरार पड़ गई थी. नीतीश कुमार ने प्रदेश के सीएम पद से इस्तीफा दे दिया था. उस दौरान भ्रष्टाचार के आरोप में डिप्टी सीएम तेजस्वी से भी इस्तीफे की मांग बढ़ने लगी थी. बाद में नीतीश कुमार ने कहा था कि ऐसे माहौल में काम करना मुश्किल हो गया. हालांकि मौजूदा हालात में अब नई सरकार और गठबंधम में नीतीश कुमार को नई चुनौतियों से पार पाने के लिए नए समीकरण बनाने पड़ेंगे.
लालू परिवार पर भ्रष्टाचार के आरोप
राष्ट्रीय जनता दल के मुखिया लालू प्रसाद यादव पर रेलवे में नौकरी के बदले जमीन घोटाले को लेकर आरोप लगते रहे हैं. जिस पर सीबीआई ने कई बार लालू यादव के साथ ही उनकी पत्नी राबड़ी देवी और उनकी बड़ी बेटी मीसा भारती पूछताछ कर चुकी है. इसके अलावा पूर्व डीएपी सीएम और लालू यादव के बेटे तेजस्वी पर भी भ्रष्टाचार के आरोप लगते रहे है. इसी भ्रष्टाचार के कारण 2017 में महागठबंधन की में दरार पड़ी थी और महागठबंधन की सरकार गिर गई थी. ऐसे में सरकार को इन आरोपें
Bihar Politics: बिहार में फिर महागठबंधन की सरकार, नीतीश-तेजस्वी के सामने होंगी ये पांच बड़ी चुनौतियां
जमीन में दोनों कार्यकर्ताओं के बीच समन्वय
दोनों दलों के बीच हाईकमान के स्तर पर समन्वय तो बैठ गया है लेकिन क्या इसका असर जमीन पर भी पड़ेगा? गठबंधन और सरकार दोनों को इसी चुनौती से जूझना होगा. कुछ दिनों पहले तक जहां जदयू, एनडीए का हिस्सा थी और उसकी पार्टी लाइन कई मुद्दों पर बीजेपी के समर्थन और राजद के खिलाफ थी, अब उसका ठीक उल्टा हो गया है. इसके अलावा जिन सीटों पर साल 2020 के विधानसभा चुनाव में जदयू और राजद के प्रत्याशी आमने-सामने थे और कोई हारा तो किसी ने जीत का स्वाद चखा, क्या वह साथ मिलकर गठबंधन और सरकार के सहयोग में अपनी भूमिका निभा पाएंगे? ठीक यही सवाल राजद के लिए भी है. जिन सीटों पर उसके प्रत्याशी हार गए क्या वहां जदयू नेताओं से उनके रिश्ते पटरी पर आ सकेंगे? अगर हाईकमान का बनाया गठबंधन, जमीन पर उतरता है तब ही दोनों नेताओं- तेजस्वी और नीतीश के सपने साकार हो सकते हैं.
आरजेडी और गठबंधन के अन्य दलों को संतुष्ट रखना होगा
बिहार विधानसभा में कुल 243 सीटें हैं. इस वक्त बिहार विधानसभा में राष्ट्रीय जनता दल के 79, भारतीय जनता पार्टी के 77, जनता दल यूनाइटेड के 45, कांग्रेस के 19, कम्युनिस्ट पार्टी (ML)के 12, एआईएमआईएम के एक, हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा (हम) के 4, कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया (मार्क्सिस्ट) के दो, कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया के दो और एक निर्दलीय विधायक हैं. वहीं इस वक्त एक सीट रिक्त है. इस समय प्रदेश में और महागठबंधन में सबसे बड़ी पार्टी राष्ट्रीय जनता दल है. सरकार चलाने के लिए RJD को सभी पार्टी के नेताओं को संतुष्ट करना पड़ेगा. बता दें कि साल 2015 में बने महागठबंधन की सरकार को टूटने में आरजेडी के ज्यादा हस्तक्षेप को कारण माना जाता है.
केंद्र के साथ समन्वय
नई महागठबंधन की सरकार को केंद्र सरकार के साथ समन्वय स्थापित करना एक बहुत बड़ी चुनौती है. महागठबंधन की सभी पार्टियां बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग कर रही हैं. इसके साथ ही नीतीश कुमार का केंद्र से स्पेशल पैकेज की मांग पर भी अब तलवार लटक सकती है. बता दें कि JDU और BJP के साथ आने के 5 साल बाद भी स्पेशल पैकेज को लेकर बात नहीं बन सकी थी. ऐसे में नीतीश की मांग पर केंद्र कितना पैकेज देता है वह देखने वाली बात होगी.