Bihar New Governer: राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू (Draupadi Murmu) ने रविवार को बिहार समेत 13 राज्यों के राज्यपालों की नियुक्ति की. राष्ट्रपति कार्यालय से रविवार को जारी की गई अधिसूचना के अनुसार राजेंद्र विश्वनाथ अर्लेकर (Rajendra Vishwanath Arlekar) को बिहार का नया राज्यपाल नियुक्त किया गया है. वह बिहार के राज्यपाल फागू चौहान (Fagu Chouhan) का स्थान लेंगे. जानकारी हो कि इससे पहले राजेंद्र विश्वनाथ अर्लेकर हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल थे. 


फागू चौहान को बनाया गया मेघायल का राज्यपाल
बिहार के राज्यपाल फागू चौहान को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने मेघालय का राज्यपाल नियुक्त किया है. इसके साथ झारखंड के पूर्व राज्यपाल रमेश बैंस को महाराष्ट्र का नया राज्यपाल नियुक्त किया है. उनकी जगह सीपी राधाकृष्णन को झारखंड का नया राज्यपाल बनाया गया है. जानकारी हो हि इससे पहले महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोशियारी और लद्दाख के एल-जी राधा कृष्ण माथुर ने अपने पदों से इस्तीफा दे दिया था. राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने दोनों राज्यपालों के इस्तीफे स्वीकार कर लिए थे. 


कई राज्यपाल को भेजा गया दूसरे राज्यों में
इसके साथ ही राष्ट्रपति ने 13 राज्यों के राज्यपाल भी बदले हैं. इनमें कई राज्यपाल को एक राज्य से दूसरे राज्य में भेजा गया है. अधिसूचना के अनुसार सेवानिवृत्त ब्रिगेडियर बीडी मिश्रा लद्दाख के नए एल-जी होंगे. लेफ्टिनेंट जनरल कैवल्य त्रिविक्रम परनाइक को अरुणाचल प्रदेश का नया राज्यपाल बनाया गया है. लक्ष्मण प्रसाद आचार्य को सिक्किम, शिव प्रताप शुक्ला को हिमाचल प्रदेश, गुलाब चंद कटारिया को असम, रिटायर्ड जस्टिस एस. अब्दुल नजीर को आंध्र प्रदेश का राज्यपाल बनाया गया है.इसके अलावा बिस्वा भूषण हरिचंदन को छत्तीसगढ़, अनुसुईया उइके को मणिपुर, एल. गणेशन को नगालैंड, रमेश बैस को महाराष्ट्र की जिम्मेवारी सौंपी गई है.


बचपन से ही संघ से जुड़े रहे 
जानकारी हो कि राजेंद्र विश्वनाथ अर्लेकर का जन्म 23 अप्रैल 1954 को गोवा के पणजी में हुआ था. आर्लेकर बचपन से ही आरएसएस से जुड़े थे. इसी दौरान साल 1989 में वे बीजेपी में शामिल हुए. वे गोवा सरकार में कैबिनेट मंत्री और गोवा विधानसभा के अध्यक्ष भी रह चुके हैं. साल 2012 में वे गोवा विधानसभा के अध्यक्ष बनाये गये. उन्होंने तीन साल तक स्पीकर के रूप में भूमिका निभाई. साल 2015 में वे गोवा के पर्यावरण और वन मंत्री भी बने. गोवा विधानसभा को पेपरलेस करने के कारण आज भी उनकी सराहना की जाती है.


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