गोपालगंजः बिहार के गोपालगंज जिले में आज भी चवन्नी और अठन्नी चलती है. आपको जानकर थोड़ा अटपटा जरूर लगेगा लेकिन इसी चवन्नी और अठन्नी की वजह से बीते एक सप्ताह में 21 लोगों की जान चली गई है. पुलिस की जांच में कोडवर्ड के जरिए शराब की सप्लाई करने की बात सामने आई है. शराब धंधेबाजों और ग्राहकों के बीच 'चवन्नी, अठन्नी और आधा किलो दूध' कोडवर्ड मशहूर था. चवन्नी का कोडवर्ड 30 रुपये में बिकनेवाली 100 एमएल की देसी पाउच थी, जबकि अठन्नी का कोडवर्ड 150 रुपये में बिकनेवाली बंटी-बबली थी.


जांच में यह भी पता चला है कि किसी नए ग्राहक को पुराने ग्राहक के माध्यम से ही आना होता था. इतना ही नहीं, इलाके में पुलिस की गाड़ी यदि धंधेबाज के आसपास में है, तो चवन्नी-अठन्नी कोडवर्ड की जगह आधा किलो दूध कोडवर्ड का इस्तेमाल किया जाता था. इस कोडवर्ड से पियक्कड़ और धंधेबाज दोनों सचेत व सतर्क हो जाते थे. पुलिस को भनक तक नहीं लगती थी.


यह कोडवर्ड महम्मदपुर के लोगों के लिए श्राप साबित होगा और 21 लोगों की मौत की कहानी बनेगी, यह किसी को पता नहीं था. शराब के इस कोडवर्ड से मौत तक की कहानी बयां करते हुए बीमार भोला राम व पप्पू साह का दर्द भी छलक उठा. सदर अस्पताल में ही दोनों की आंखों से आंसू आने लगे. शराब से जान बचने के बाद पीड़ितों ने कहा कि जीवन में कभी शराब का सेवन नहीं करेंगे. उधर, भोला राम व पप्पू साह की स्थिति में सुधार होने के बाद डॉक्टरों ने अस्पताल से छुट्टी दे दी.


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‘डिजिटल वाटर कोडवर्ड' भी था मशहूर


महम्मदपुर में पुलिस की नजरों से बचने के लिए धंधेबाज आए दिन नए-नए कोडवर्ड बदल भी रहे थे. चवन्नी-अठन्नी से पूर्व डिस्टिल्ड वाटर, फ्रूटी और अन्य नाम चर्चा में रहे हैं. ‘डिजिटल वाटर कोडवर्ड' का प्रयोग अभी हाल में शुरू हुआ. महम्मदपुर के कुशहर, मंगोलपुर, बैकुंठपुर के सीमावर्ती गांवों तक इस कोडवर्ड का जमकर प्रयोग हुआ. इस कोडवर्ड का ऑर्डर मिलने के बाद शराब के शौकीनों को देसी-विदेशी शराब उपलब्ध करा दी जा रही थी. हालांकि पुलिस को जब इस कोडवर्ड का पता चला, तो इसे धंधेबाजों ने बदल दिया.


गंडक के रास्ते से रात में चोरी-छुपे लाई जाती है शराब


पुलिस से बचने के लिए उत्तर प्रदेश से शराब लाने के लिए धंधेबाज बेतिया की सीमा से लगे दियारा व बलुआ रास्तों का भी उपयोग कर रहे हैं. विशंभरपुर के सिपाया, बलिवनसागर, जादोपुर के रामपुर टेंगराही, निमुइया, बरौली होते हुए महम्मदपुर में अक्सर इन रास्तों से भूसा और फलों के बीच छुपाकर बड़ी मात्रा में शराब लाने के लिए धंधेबाज अक्सर रात के समय का उपयोग करते हैं. देर रात पुलिस से पकड़े जाने का खतरा कम होता है. इसी का फायदा शराब माफिया उठा रहे हैं और चोरी-छुपे शराब लेकर जिले में प्रवेश कर रहे हैं. धंधेबाज पुलिस की नजरों से बचकर शराब के धंधे में जुड़े हैं व मोटी कमाई कर शराबबंदी का उल्लंघन कर रहे हैं.


उत्तर प्रदेश से पहुंच रही सबसे अधिक खेप


विदेशी शराब की खेप जिले में सबसे अधिक उत्तर प्रदेश और हरियाणा से आ रही है. उत्तर प्रदेश से कटेया, भोरे, विजयीपुर, कुचायकोट, जादोपुर थाने की सीमा जुड़े हुए हैं. सीमा के कुछ ही दूर अंदर जाने पर लोगों को आसानी से उत्तर प्रदेश निर्मित शराब उपलब्ध हो जाती है.


अधिक कमाई कर रहा आकर्षित


शराब के इस अवैध कारोबार में बड़ी संख्या में लोग जुड़े हैं. इस धंधे में ढाई से तीन गुणा अधिक कमाई युवाओं को आकर्षित कर रहा है. चार सौ से पांच सौ रुपये रेट वाली शराब की कीमत यहां 12 सौ से 15 सौ रुपये वसूली जाती है. यही कारण है कि जेल से छूटने के बाद भी धंधेबाज इस धंधे में दोबारा जुट जाते हैं. ऐसा नहीं है कि पुलिस को इसकी जानकारी नहीं है.


पकड़े जा रहे हैं छोटे-बड़े कारोबारी


पुलिस को भी अच्छी तरह पता है कि शराब कहां से आ रही है और इसमें कौन-कौन से बड़े कारोबारी शामिल हैं. फिर भी छोटे-मोटे कारोबारी ही पकड़े जा रहे हैं. हालांकि काफी संख्या में धंधेबाज पकड़े भी जा चुके हैं. 5560 ऐसे धंधेबाज हैं, जिन पर कोर्ट में ट्रायल भी चल रहा है. बावजूद इसके शराब के कारोबारियों का हौसला बुलंद है.



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