भागलपुर: बिहार कृषि विश्वविद्यालय सबौर अपने पड़ोसी राज्य उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल और झारखंड के किसानों को अब हाइड्रोपोनिक्स विधि से बिना मिट्टी के खेती करने का पाठ पढ़ाएगा. इसके फायदे जानकर काफी मुनाफा कमाया जा सकता है. इसके लिए बीएयू के वैज्ञानिक किसानों को प्रशिक्षण देंगे. खेती की तकनीक को बारीकी से बताया जाएगा. इसे सीख कर किसान अपने समृद्धि का द्वार खुद खोल पाएंगे.


हाइड्रोपोनिक्स विधि से तीनों राज्यों के किसान सिर्फ पानी के जरिए जलवायु को नियंत्रित करके हरे चारे और सब्जियों की आधुनिक तरीके से खेती करेंगे. बाढ़ और सुखाड़ जैसी प्राकृतिक आपदा के दौरान पशुपालकों को हरे चारे की किल्लत नहीं होगी. इस नई तकनीकी से किसान बेमौसम हरी सब्जियां जैसे टमाटर, शिमला मिर्च और फलों की कम लागत पर खेती कर बेहतर मुनाफा कमा सकेंगे.


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क्या है हाइड्रोपोनिक तकनीक?


बिना मिट्टी की पोषक तत्वों से भरपूर जल संवर्धन विधि द्वारा नियंत्रित तापमान में हरा चारा और सब्जी उगाने के इस तकनीक को मृदाविहीन फसल उत्पादन या हाइड्रोपोनिक्स विधि कहते हैं.


योजना के प्रभारी पदाधिकारी सबसे विज्ञान विभाग के सहायक प्राध्यापक डॉ. एसके गुप्ता ने बताया कि बिहार कृषि विश्वविद्यालय ने राष्ट्रीय कृषि विकास (रफ्तार) योजना के तहत मार्च माह में इस तकनीक के माध्यम से राज्य में पहली बार हरे चारे की खेती शुरू कर दी है, जबकि राज्य सरकार द्वारा वित्त पोषित इस योजना को जल्द विस्तार देने की तैयारी है. पड़ोसी राज्य उत्तर प्रदेश पश्चिम बंगाल और झारखंड के किसानों के बीच इस तकनीकी के विस्तार के लिए प्रशिक्षण आयोजित किए जाएंगे.


बीएयू के कुलपति डॉ. अरुण कुमार ने कहा कि हाइड्रोपोनिक्स तकनीकी खेती की नई विधा है, जो पशुपालकों एवं डेयरी उद्योग के लिए वरदान साबित होगा. इस विधा से किसान पशुओं के लिए हरा चारा कम लागत पर उत्पादन कर सकेंगे. अधिक से अधिक किसानों तक इस विधा को पहुंचाने के लिए विश्वविद्यालय प्रतिबद्ध है.


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