पटना: कोरोना संक्रमण की पहली और दूसरी लहर की चपेट में आकर देश भर में सैकड़ों लोगों की मौत हुई है. बिहार में मृतकों का आंकड़ा 9600 है. ऐसे में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Nitish Kumar) ने कोरोना संक्रमण से मारे गए लोगों के परिजनों के लिए चार लाख रुपये मुआवजे की घोषणा की थी. घोषणा के अनुरूप मुआवजा दिया भी जा रहा है. इसी क्रम में ये बात सामने बिहार ऐसा करने वाला इकलौता राज्य है. केवल बिहार में ही कोरोना से मारे गए लोगों के परिजनों को चार लाख रुपये का मुआवजा दिया जा रहा है. साथ ही केंद्र की ओर से जारी दिशानिर्देश के बाद ये राशि साढ़े चार लाख रुपये हो गई है.


किसी राज्य ने नहीं दी इतनी बड़ी राशि

इस संबंध में सोमवार को आपदा प्रबंधन विभाग के सचिव संजय अग्रवाल ने एबीपी न्यूज को बताया कि कोरोना से जिनकी मृत्यु हुई उनके आश्रितों को बिहार सरकार ने देश भर में सबसे ज्यादा और बड़ी मदद की. नीतीश सरकार ने सीएम रिलीफ फंड से हर मृतक के आश्रितों को चार लाख रुपये एक मुश्त दिया. देश में किसी सरकार ने इतनी बड़ी राशि मदद के तौर पर नहीं दी है. वहीं, इसके साथ केंद्र सरकार द्वारा घोषित पचास हजार भी दिए गए हैं.


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सीधे खाते में किया गया भुगतान

संजय अग्रवाल ने बताया कि चार लाख रुपए पहले देने थे. लेकिन अब सरकार द्वारा साढ़े चार लाख रुपये की राशि दी जा रही है. 8,848 लोगों को भुगतना हो गया है. कोरोना से मरे लोगों के परिजनों को अब तक एसडीआरएफ फंड के माद्यम से लगभग 40 करोड़ रुपये का भुगतान हो गया है. वहीं, आपदा प्रबंधन विभाग को 3727 करोड़ मुख्यमंत्री राहत कोष से मिले हैं.


उन्होंने बताया कि अभी वर्तमान नियम के अनुसार जिनका डेथ बिहार में हुआ है, उन्हें ही बिहार सरकार द्वारा ये राशि दी जाएगी. नियमतः जिस राज्य में जिसकी मौत होती है, उसी राज्य से भुगतान किया जाता है. अब तक करीब 400 करोड़ रुपए की राशि दी जा चुकी है. बाकी लोगों को सीधे उनके खाते में पैसे भेजने की तैयारी पूरी कर ली गई है. बिहार में कोरोना से मरने वालों का आंकड़ा 9,600 है, जिसमें से 8448 लोगों के आश्रितों को भुगतान किया जा चुका है.


भुगतान में देरी पर दी सफाई

राशि मिलने में हो रही देरी पर सफाई देते हुए संजय अग्रवाल ने बताया कि हर जिले में ग्रीवांस रिड्रेसल कमेटी बनाया गया है, जिसमें एक एडीएम और दो डॉक्टर हैं. ये मृत्यु का कारण क्या है, यह बताते हैं. कुछ लोगों के आश्रितों में आपस में झगड़ा हो जाने के कारण मामला फंसा हुआ है. कमेटी में जो ग्रीवांस बनाये गए हैं, उसमें देखने को मिल रहा है कि कई में कागज नहीं है. वहीं, कई में दो दावेदार सामने आ जाते हैं. वैसे लोगों के भुगतान में विलंब हो रही है.



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