(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
Bihar News: हर वैरिएंट में तुरंत प्रभावी है बूस्टर डोज, क्या इसे हर साल लेना होगा? जानें क्या कहते हैं पटना के डॉक्टर
Coronavirus Booster Dose: एक डॉक्टर ने कहा- साइंस कहता है कि बूस्टर डोज लेना आवश्यक है क्योंकि छह माह बाद इम्युनिटी घटती है उस समय एंटीबॉडी कम होते हैं.
पटनाः राजधानी पटना के आईजीआईएमएस (IGIMS) में कोरोना बूस्टर डोज की शुरुआत हो गई है. चिकित्सक इसे हर वैरिएंट में प्रभावी मान रहे हैं. साथ ही उनकी यह भी राय है कि वैक्सीनेशन के अलावा कोई रास्ता नहीं है. पटना मेदांता के डॉ. अजय सिन्हा ने बताया कि जितने भी विद्वान लोग हैं उन सबने ये प्रमाणित कर दिया है कि थर्ड डोज लेना ही लेना है. अगर अमेरिका और यूरोप को देखें तो वहां ये बहुत पहले ही पड़ गया है. क्योंकि इसके अलावा कोई उपाय ही नहीं है, हो सकता है आने वाले दिनों में हमें हर साल वैक्सीन लेना पड़े. अभी तीसरी डोज दी जा रही है, हो सकता है कि चौथे बार भी टीका लेना पड़े.
दो डोज के बाद भी बूस्टर डोज क्यों?
वहीं दूसरी ओर लगातार लोगों के मन में यह सवाल उठ रहा है कि आखिर जब कोरोना वैक्सीन को दोनों डोज ले ली है फिर बूस्टर डोज का क्या काम है. इसको लेकर आईजीआईएमस के पूर्व प्राचार्य डॉ. उदय कुमार ने कहा कि बूस्टर डोज इसलिए जरूरी है क्योंकि दो डोज लेने के बाद भी लोगों को कोरोना हो रहा है. इसके लेने से उनका एंटीबॉडी अच्छा काम करे जो आने वाले इंफेक्शन से उन्हें बचाए इसलिए जरूरी है. किसी भी इम्यूनाइजेशन में इम्युनिटी बढ़ाने के लिए बूस्टर डोज की आवश्यकता होती है इसलिए ये लेना अत्यंत आवश्यक है.
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वहीं, डॉ. पूर्णिमा रतन ने कहा कि बूस्टर डोज के लिए आई हैं और सरकार का ये मुहिम बहुत कारगर है. ये सबको पड़ना चाहिए, इससे हमारा इम्युनिटी बेहतर होगा और जो महामारी हमने झेली है उससे लड़ने में हमें मदद मिलेगी. हमने दोनों डोज ले ली है. इसके साथ ही मास्क और हैंड सैनिटाइज भी करती हूं. कभी भी हमारा हॉस्पिटल या क्लिनिक बंद नहीं हुआ. लगातार हमलोगों ने अपनी सेवाएं दीं.
साइंस कहता है- बूस्टर डोज लेना जरूरी
वहीं डॉ. विश्व रतन ने कहा कि वो बूस्टर डोज के लिए आए हैं. उन्होंने दोनों डोज ले ली है. कोई साइड इफेक्ट नहीं दिखा और काम के दौरान दोनों डोज लेने की वजह से सुरक्षा मिली. साइंस कहता है कि बूस्टर डोज लेना आवश्यक है क्योंकि छह माह बाद इम्युनिटी घटती है उस समय एंटीबॉडी कम होते हैं. ये लेना बहुत जरूरी है, चाहे कोई भी वैरिएंट आए सभी में बूस्टर का तुरंत प्रभाव पड़ता है.
अमेरिका आदि देशों में समझाने के कई तरीके हैं. सबसे अच्छा तरीका है कि आप लोगों को आईसीयू की तस्वीर दिखा दें कि कैसे लोग आईसीयू में जीवन के लिए संघर्ष कर रहे हैं. ऑक्सीजन के लिए लड़ रहे हैं. जब ये डर लोगों के अंदर आ जाएगा कि इससे मौत हो सकती है तो लोगों का वैक्सीन के प्रति जागरूकता बढ़ेगी और दूसरा है पॉलिटिकल अवेयरनेस जबतक हमारे पॉलिटिशियन ग्रामीण स्तर तक लोगों को नहीं बताएंगे तबतक जो नहीं लेने वाले हैं वो नहीं लेंगे.
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