Bihar News: कचरे से बनेगी ईंट, रस्सी और जैविक खाद, प्रदेश का पहला ट्रीटमेंट प्लांट शुरू, 30 करोड़ की है मशीन, जानें और खासियत
बिहार के गया में प्लांट शुरू हो चुका है सिर्फ औपचारिक उद्घाटन बाकी है. 20 वर्षों से डंपिंग यार्ड में फैले कूड़े कचरे का निष्पादन हो जाने से आसपास के इलाकों में वायु प्रदूषण भी कम जाएगा.
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गयाः बिहार के गया शहर के नैली स्थित डंपिंग यार्ड में नेशनल फेडरेशन ऑफ फार्मर्स प्रोक्योरमेंट (NACOF) द्वारा कचरा वेस्ट मैनेजमेंट सिस्टम प्लांट को शुरू किया गया है. बुधवार को नगर निगम के मेयर बीरेंद्र कुमार, डिप्टी मेयर मोहन श्रीवास्तव, नोडल अधिकारी शैलेंद्र कुमार सिन्हा, मुख्य सफाई निरीक्षक सत्येंद्र प्रसाद सहित दर्जनों निगम के अधिकारियों ने प्लांट का निरीक्षण किया. डिप्टी मेयर मोहन श्रीवास्तव ने बताया कि यह बिहार पहला प्रोजेक्ट है जिसे नगर निगम के सहयोग से लगाया गया है. यहां शहर के कचरे से ईंट, रस्सी और जैविक खाद तैयार की जाएगी. प्लांट शुरू हो चुका है सिर्फ औपचारिक उद्घाटन बाकी है.
कैसे काम करती है मशीन?
बताया जाता है कि इसके लिए कुल छह मशीनें लगाई गई हैं. मशीन प्रत्येक दिन 150 टन आरडीएफ कचरा अलग कर रही है वहीं 75 मिमी डाउन साइज के कचरे को गीले कचरे में मिलाकर जैविक खाद तैयार की जा रही है. सूखे कचरे को 10 प्रकार से अलग किया जा रहा है. नगर निगम ने 30 करोड़ रुपये की राशि से प्लांट को लगाया है. भोपाल की निजी कंपनी नेशनल फेडरेशन ऑफ फार्मर्स प्रोक्योरमेंट (NACOF) सूखे और गीले कचरे का निष्पादन कर रही है. इसके साथ ही मृत जानवरों के शव के लिए क्रिमेशन मशीन लगाई जाएगी.
क्यूआर कोड से होगी मॉनिटरिंग
डिप्टी मेयर मोहन श्रीवास्तव ने बताया कि शहर के निगम क्षेत्रों में आने वाले सभी घरों के बाहर क्यूआर (QR) कोड लगाए जाने की योजना है जो जल्द शूरू की जाएगी. जो सफाईकर्मी घर से कचरा उठाने जाएंगे वे क्यूआर कोड को स्कैन करेंगे. स्कैन होते ही कंट्रोल रूम में इसका सिग्नल मिल जाएगा कि किस घर से कचरे का उठाव हो चुका है. एक अलग से मॉनिटिरिंग रूम भी बनाया जाएगा. जहां से कचरा नहीं उठा है उसकी सूचना संबंधित अधिकारी सफाईकर्मियों को मिल जाएगी.
ज्ञात हो कि पिछले 20 वर्षों से डंपिंग यार्ड में फैले कूड़े कचरे का निष्पादन हो जाने से आसपास के इलाकों में वायु प्रदूषण भी कम जाएगा. अक्सर गर्मी के दिनों में कचरे के ढेर में आग लग जाती है जिससे आसपास के कई गांवों में दूषित वायु से ग्रामीण परेशान होते थे इससे भी निजात मिलेगी इसके साथ-साथ किसानों को न्यूनतम मूल्य पर जैविक खाद भी उपलब्ध हो सकेगा.
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