Bihar News: पटना मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल (Patna Medical Collage Hospital) बिहार (Bihar) का सबसे बड़ा चिकित्सकीय संसथान है. यहाँ हर साल लाखों की तादात में मरीज (Patient) अपना इलाज करवाने आते हैं. बिहार के मरीजों का भारी दबाव होने के बावजूद PMCH लोगों को अपनी सेवाएं देने में कोई कसर नहीं छोड़ रहा. यहाँ विदेशों से भी मरीज अपना इलाज करवाने आते हैं. पीएमसीएच को बिहार का एम्स (Bihar AIIMS) भी कहा जाता है, लेकिन पटना (Patna) में ही केंद्र सरकार (Central government) के सहयोग से एम्स अस्पताल एवं मेडिकल कॉलेज (Hospital and Medical College) बन रहा है.       


पटना मेडिकल कॉलेज है बिहार का सबसे बड़ा कॉलेज
पटना मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल बिहार का सबसे बड़ा अस्पताल और कॉलेज है. यहाँ एमबीबीएस, एमडी और एमएस की पढाई के साथ-साथ गंभीर बीमारी से ग्रसित मरीजों का इलाज किया जाता है. शुरुआत में इसका नाम कुछ और रखा गया था, लेकिन आज़ादी के कुछ वर्षों बाद इसके पुराने नाम को बदलकर पटना मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल कर दिया गया. पहले पीएमसीएच पटना विश्वविद्यालय से सम्बद्ध था, अब इसे आर्यभट्ट ज्ञान विश्वविद्यालय से सम्बद्ध किया गया है.           


Medical Colleges In Bihar: कितने सरकारी-प्राइवेट मेडिकल कॉलेज हैं, MBBS की सीटें कितनी हैं, कितने नए मेडिकल कॉलेज बनने वाले हैं?


1874 में हुई थी पटना मेडिकल कॉलेज शुरुआत
वैसे तो पीएमसीएच की शुरुआत सन 1874 में टेम्पल मेडिकल स्कूल के नाम से हुई. तब 30 छात्रों के बैच साथ इसे शुरू किया गया था. मगर सुचारू रूप से इसकी स्थापना सन 1925 में तत्कालीन प्रिंस ऑफ़ वेल्स ने की थी. यह शुरू में बिहार और ओड़िसा का संयुक्त रूप से पहला मेडिकल कॉलेज था.  1925 में अपनी स्थापना के पश्चात 25 फरवरी, 1927 को औपचारिक रूप से तत्कालीन गवर्नर लेफ्टिनेंट सर हेनरी व्हीलर ने इसका उद्घाटन किया. 


पुराना नाम क्या था
पटना मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल की जब नीव रखी गई थी, तब इसका नाम यह नहीं था. प्रिंस ऑफ़ वेल्स भारत अपने शाही दौरे के लिए अक्टूबर 1921 से मार्च 1922 भारतीय उपमहाद्वीप की यात्रा की थी. इसी वक़्त उन्होंने पटना में मेडिकल कॉलेज खोलने की बाट कही थी. प्रिंस ऑफ़ वेल्स के नाम पर इस मेडिकल कॉलेज का नाम ‘प्रिंस ऑफ़ वेल्स मेडिकल कॉलेज’ रखा गया था.  


क्यों प्रसिद्ध है
पटना मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल अपनी विशाल बेड की क्षमता और बिहार के सबसे बड़े अस्पताल होने की वजह से पूरे देश में प्रसिद्द है. यहाँ बिहार के कोने-होने से लोग अपना इलाज करवाने आते हैं. साथ ही नीट के माध्यम से जो छात्र अच्छी रैंक हासिल करते हैं उनका भी सपना पीएमसीएच में पढ़ने का होता है.     


MBBS और पीजी की कितनी सीटें हैं
पीएमसीएच में एमबीबीएस की 150 सीटें हैं, जबकि एमडी और एमएस मिलाकर मास्टर्स की कुल 198 सीटें हैं. संस्थान में जितने विभाग हैं लगभग सभी विभागों की पढ़ाई यहां होती है. यहाँ के छात्रों की वजह से मेडिकल कॉलेज का गौरवशाली इतिहास रहा है.      



कितने बेड हैं
पीएमसीएच में 1748 से अधिक बेड की क्षमता है. इसके अलावा पीएमसीएच के आपातकालीन वार्ड इंदिरा गांधी सेंट्रल इमरजेंसी में 220 अतिरिक्त बेड हैं. इतने अधिक बेड की क्षमता होने के कारण इस मेडिकल कॉलेज को दिल्ली के एम्स अस्पताल के समतुल्य माना जाता है. यही नहीं मुख्यमंत्री नितीश कुमार ने पीएमसीएच में बड़ों की संख्या बढाकर 5426 करने की घोषणा की है. इसके लिए बिहार सरकार ने 5540 करोड़ का बजट रखा हुआ है.       


कितने डॉक्टर हैं
पीएमसीएच में प्रोफेसर, एसोसिएट प्रोफेसर, सहायक प्रोफेसर और टयूटर के कुल 586 पद हैं. 331 परमानेंट डॉक्टरों का टीचिंग स्टाफ है. बाकी के बचे पद अभी तक खाली पड़े हुए है. हालांकि कुछ विभाग ऐसे भी हैं जहाँ प्रोफेसरों की कमी की वजह से पीजी की पढाई में अड़चन आती है.    


 


कितने विभाग हैं
पीएमसीएच में सर्जरी, टीबी एवं चेस्ट, यूरोलॉजी, प्लास्टिक सर्जरी, न्यूरो सर्जरी, कार्डियोलॉजी, मेडिसिन सहित कुल मिलकर 36 विभाग हैं. इन सभी विभागों में एमबीबीएस, एमडी और एमएस की पढ़ाई करवाई जाती है. अभी सैकड़ों छात्र-छात्राएं यहाँ पढाई कर रहे हैं. साथ ही छात्र यहाँ के अस्पताल में प्रैक्टिस भी करते हैं.      


कितनी बिल्डिंग हैं


पीएमसीएच की बिल्डिंग वैसे तो ज्यादातर पुरानी बनी हुई है. लेकिन 2003 में कॉलेज में नई बिल्डिंग बनाने और इसे विस्तार देने की कवायद शुरू की गई. उस समय देशभर के अस्पतालों के दौरे कर इसकी रूपरेखा तैयार की गई. इसी को देखते हुए बिहार सरकार के स्वास्थ्य विभाग ने पीएमसीएच को दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा अस्पताल बनाने का दावा किया है. इसके लिए सरकार ने बजट भी जारी कर दिया है.


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