पटनाः राज्य सरकार बिहार (State Government Bihar) हिंदू धार्मिक न्यास पर्षद के नियंत्रण वाले मठों-मंदिरों की जमीन की नई जमाबंदी कायम करने जा रही है. ऐसा होने पर जमीन के खतियान में मालिक वाले कालम में भगवान (इष्टदेव) का नाम दर्ज होगा. इतना ही नहीं बल्कि रिमार्क वाले कालम में उस मठ-मंदिर के सेवादार, महंत या सचिव का नाम दर्ज होगा. यह बदलाव सुप्रीम कोर्ट की पहल पर हो रहा है. इस संबंध में मंगलवार को पटना में उच्चस्तरीय बैठक हुई. इसमें राजस्व एवं भूमि सुधार मंत्री रामसूरत कुमार, विधि मंत्री प्रमोद कुमार, राजस्व विभाग के अपर मुख्य सचिव विवेक कुमार सिंह, धार्मिक न्यास पर्षद के अध्यक्ष अखिलेश जैन, सदस्य हरिभूषण ठाकुर बचौल, भू अभिलेख एवं परिमाप के निदेशक जय सिंह और भूदान भूमि वितरण जांच आयोग के सदस्य विनोद कुमार झा भी मौजूद थे.


मंगलवार को यहां हुई उच्च स्तरीय बैठक में सहमति इस पर भी बनी कि पहले से अगर किसी ने मठ-मंदिर की जमीन खरीद की है तो उसका म्यूटेशन और उसी आधार पर जमीन की जमाबंदी रद्द किया जाए. इसके अलावा मठों-मंदिरों की जमीन को लोक भूमि घोषित करने पर भी सहमति बनी. विधि विभाग को कहा गया कि वह इन बदलावों के लिए विधिवत प्रस्ताव भेजे. इसे मंजूरी के लिए राज्य कैबिनेट में भेजा जाएगा. बैठक में बिहार हिंदू धार्मिक न्यास पर्षद की ओर से मठ, मंदिर, धर्मशाला, कबीर मठ आदि की भूमि से संबंधित पोर्टल का प्रारूप रखा गया. सलाह दी गई कि पोर्टल के संचालन के लिए अपर समाहर्ता को नोडल पदाधिकारी बनाया जाए. वे अंचल अधिकारी से मंदिर, मठ एवं कबीर मठ की जमीन की विवरणी लेकर पोर्टल पर अपलोड करेंगे.


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बैठक में इन तीन बिंदुओं पर मुख्य चर्चा



  • राज्य के विभिन्न जिलों से प्राप्त धार्मिक न्यास पर्षद के अंतर्गत आने वाले मठ, मंदिर, कबीर पंथ से संबंधित भूमि के संरक्षण एवं संवर्द्धन के बिंदु पर विचार-विमर्श.

  • सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के आलोक में खतियान के मालिक के कॉलम एवं कब्जाधारी के कॉलम में इष्टदेव का नाम और रिमार्क कॉलम में सेवादार/ महंत/सचिव का नाम अंकित करने के बिंदु पर विचार-विमर्श.

  • सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के आलोक में धार्मिक न्यास पर्षद के परिसम्पतियों के अवैध बिक्री एवं अतिक्रमणकारियों पर कार्रवाई के संबंध में विचार-विमर्श.


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