बांका: बिहार के भागलपुर में कोयले के दो बड़े खदान मिलने के बाद अब बांका जिले के कटोरिया प्रखंड के अलग-अलग गांवों में जमीन के अंदर सैकड़ों टन सोना सहित कई अन्य कीमती खनिज पदार्थ होने के संकेत मिले हैं. इसको लेकर भारतीय भू-वैज्ञानिक सर्वेक्षण की टीम द्वारा लगातार चार दिनों से अलग-अलग तरह के बड़े-बड़े आधुनिक ड्रिल मशीनों से खुदाई कर सैंपल लिए जा रहे हैं.


जमीन के अंदर से निकाले जा रहे सैंपल को धोने के बाद उसे सुखाया जा रहा है और सुखाने के बाद डिब्बों में पैक कर जांच के लिए पटना भेजा जा रहा है. खुदाई के दौरान चमकीले पत्थर मिले हैं, जिससे उम्मीदें काफी बढ़ गई हैं. माना जा रहा है कि इन गांवों में जमीन के नीचे सोने का खजाना दबा हुआ है. सोना प्राप्त करने के लिए ड्रिल मशीन के जरिए करीब 150 फीट तक खुदाई की गई है और अब 650 फीट तक खुदाई की जाएगी.



भू-वैज्ञानिक सर्वेक्षण टीम कर रही अध्ययन


खुदाई से निकल रहे पत्थर और मिट्टी को लैब टेस्ट के लिए जमा किया जा रहा है. कई महीनों से केंद्रीय और राज्य स्तर की भू-वैज्ञानिक सर्वेक्षण टीमें लगातार इस क्षेत्र का अध्ययन कर रही हैं. ऐसा कहा जा रहा कि कटोरिया प्रखंड के गांवों में सोने का अपार भंडार मिल सकता है. खुदाई के दौरान निकल रहे पत्थरों की चमक भी अलग तरह की है. जीएसआई की टीम अलग-अलग जगहों से नमूने इकट्ठे कर रही है. चार दिनों से विभिन्न प्रकार की बड़ी-बड़ी ड्रिल मशीनों से खुदाई की जा रही है.


इधर भागलपुर एवं बांका दो जिलों के प्रभार में रह रहे जिला खनन पदाधिकारी कुमार रंजन ने बताया कि जीएसआई द्वारा रूटीन वर्क के तहत संकेत मिलने पर 14 मई से जयपुर थाना क्षेत्र अंतर्गत लकरामा पंचायत के चंदेपट्टी गांव में खुदाई का कार्य करवाया जा रहा है. बेस मेटल के रूप में लौह तत्व, जिंक, कॉपर, निकेल आदि के सैंपल मिले हैं. लैब में जांच के लिए भेजा जा रहा है.


सोना मिलने की कोई स्पष्ट पुष्टि नहीं


वहीं कटोरिया बीडीओ प्रेम प्रकाश, सीओ आरती भूषण एवं जयपुर थानाध्यक्ष मुरलीधर साह ने बताया कि यहां खनिज पदार्थ के संकेत मिलने पर विगत 4-5 दिनों से जीएसआई द्वारा खुदाई किया जा रहा है. अब तक सोना मिलने की कोई स्पष्ट पुष्टि नहीं हुई है, हालांकि खुदाई के दौरान लोहानुमा पत्थर आदि मिले हैं, जिसे डब्बे में पैक पर जांच के लिए भेजे जाने की सूचना मिली है.


अंग्रेजों द्वारा भी कराई गई थी खुदाई


इधर स्थानीय लोगों का कहना है कि अंग्रेजों के समय भी इस जगह खुदाई हुई थी, लेकिन तब अत्याधुनिक मशीनें नहीं होने की वजह से खुदाई नहीं हो सकी थी. उस समय भी अंग्रेज अपने साथ चमकीले पत्थरों के टुकड़े ले गए थे. अब भू-गर्भ वैज्ञानिक अत्याधुनिक लेंस और दूरबीन की सहायता से इन्हीं चमकीले पत्थरों की स्टडी कर रहे हैं.


भागलपुर में मिला कोयला


इससे पूर्व हाल ही में भागलपुर जिले के पीरपैंती प्रखंड अंतर्गत मिर्जा गांव और लक्ष्मीपुर में भी दो कोयला खदानों का पता लगा है. ऐसे में माना जा रहा है कि आने वाले दिनों में कोयला भंडार और बेहतर हो जाएगा. इन खदानों में इतना कोयला है कि 25-30 वर्षों तक खनन चलता रहेगा.


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