पटना: बिहार सरकार ने जेल परिसरों से अनधिकृत फोन कॉल रोकने के लिए राज्य की सभी 15 जेलों में ‘हार्मोनियस कॉल ब्लॉकिंग सिस्टम’ (एचसीबीएस) के टावर लगाने का अहम फैसला किया है. ये एचसीबीएस टावर केंद्रीय कारागार (बेउर, पटना), केंद्रीय कारागार (बक्सर), केंद्रीय कारागार (मोतिहारी), शहीद खुदीराम बोस केंद्रीय कारागार (मुजफ्फरपुर), केंद्रीय कारागार (पूर्णिया), शहीद जुब्बा सहनी केंद्रीय कारागार (भागलपुर), विशेष केंद्रीय कारागार (भागलपुर), केंद्रीय कारागार (गया), जिला कारागार (छपरा), जिला कारागार (दरभंगा), जिला कारागार (सहरसा), जिला कारागार (मुंगेर), जिला कारागार (फुलवारी शरीफ), उप-जेल (दानापुर) और उप-जेल (पटना सिटी) में स्थापित किए जाएंगे.
अपर मुख्य सचिव एस (गृह सचिव) सिद्धार्थ ने बुधवार (6 सितंबर) को बताया, ‘‘गृह विभाग (कारागार) का जेल और सुधार सेवाएं प्रदेश की जेलों में सुरक्षा प्रणालियों को बढ़ाने पर ध्यान दे रहा है. जेल परिसरों से प्रतिबंधित संचार उपकरण (मोबाइल फोन) की बरामदगी लंबे समय से एक चुनौती रही है. हमने सभी जेलों में तलाशी बूथ स्थापित करने की योजना को मंजूरी दे दी है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि मोबाइल या प्रतिबंधित वस्तुएं जेल परिसर के अंदर नहीं ले जाई जा सकें.”
जल्द पूरी होगी प्रक्रिया: एस सिद्धार्थ
एस सिद्धार्थ ने कहा कि इसके साथ ही राज्य की 15 जेलों में एचसीबीएस टावर लगाने के प्रस्ताव को भी मंजूरी मिल गई है और इस बाबत प्रक्रिया शुरू हो गई है. उन्होंने कहा कि राज्य की 15 जेलों में एचसीबीएस टावर लगाने की प्रक्रिया बहुत जल्द पूरी हो जाएगी.
क्या है स्पेशल टावर की खासियत?
बताया गया कि इससे जेल परिसर से अनधिकृत फोन कॉल को रोका जा सकेगा और जेल के अंदर से अनधिकृत तौर पर फोन कॉल करने के किसी भी प्रयास को पकड़ा जा सकेगा. यह भी बताया कि विभाग ने परियोजना के लिए पात्र कंपनियों की पहचान करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है.
परियोजना को पात्र कंपनियों को आवंटित किए जाने के बाद उन्हें इसे समयबद्ध तरीके से पूरा करना होगा. विभागीय नोट के अनुसार, ‘‘केंद्रीय गृह मंत्रालय के दिशा-निर्देशों के अनुसार जेल परिसरों और उनके आसपास के क्षेत्रों में सिग्नल की कवरेज, क्षमता और गुणवत्ता का सर्वेक्षण करने के लिए दूरसंचार विभाग को कुछ निर्देश दिए गए थे. विभिन्न दूरसंचार सेवा प्रदाताओं (टीएसपी) द्वारा सर्वेक्षण किया गया था.” इसमें कहा गया है कि सर्वेक्षण के बाद दूरसंचार विभाग ने पाया कि जेल परिसरों में अभी भी सिग्नल की उपलब्धता है और अनधिकृत तौर पर फोन कॉल करने की संभावनाएं हैं.
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